Muttaqi Press Conference: विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री द्वारा आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में MEA की कई भूमिका नहीं थी। साथ ही मंत्रालय ने इस बात का भी स्पष्टीकरण दिया कि महिला पत्रकारों को इस प्रेस इंटरैक्शन में शामिल न करने का फैसला MEA का नहीं था। MEA की ये टिप्पणी अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति की आलोचना के बीच आई है। मंत्रालय ने कहा कि ये फैसला प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजकों द्वारा लिया गया था।
मुत्तकी ने की इन मुद्दों पर चर्चा
अफगानिस्तान के तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी गुरुवार, 9 अक्टूबर को भारत दौरे पर पहुंचे थे। अपने दौरे के दूसरे दिन उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, मानवीय सहायता और सुरक्षा सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही मुत्तकी ने आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान की जमीन का किसी भी हाल में अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा।
पी. चिदंबरम ने की आलोचना
वहीं, ये मामला सामने आते ही देश में राजनीतिक पार्टियों के बीच हलचल मच गई। इसके बाद पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम इस मुद्दे को लेकर कहा कि जब महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर रखा गया तो पुरुष पत्रकारों को तुरंत विरोध स्वरूप वॉकआउट करना चाहिए था। चिदंबरम ने एक्स पोस्ट में लिखा कि मैं स्तब्ध हूं कि महिला पत्रकारों को बाहर रखा गया। इसके लिए पुरुष पत्रकारों को तुरंत विरोध करते हुए वहां से चले जाना चाहिए था।
प्रियंका गांधी ने उठाए सवाल
वहीं, प्रियंका गांधी वाड्रा ने पीएम नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि उनकी सरकार ने इस अपमानजनक स्थिति की अनुमति कैसे दे दी? उन्होंने लिखा कि पीएम मोदी जी, कृपया स्पष्ट करें कि तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया? क्या आपके महिला अधिकारों के दावे सिर्फ चुनावी नारे तक ही सीमित हैं?
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