
नई दिल्ली :देशभर में जनमाष्टमी का त्यौहार धूम-धान से मनाया जाता है. जनमाष्टमी के दिन कोई मंदिर ऐसा नही है जो कि, सजा न हो. जनमाष्टमी के दिन छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा मंदिर फूलों से सजाया जाता है. अनेक पकवान प्रशाद के रूप मे बनाए जाते है, क्योकिं इस दिन भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. वहीं भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था
आपको बता दें कि, भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. लेकिन कई बार ऐसी स्थिती बन जाती है कि, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते. वहीं इस बार भी श्री कृष्ण के जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं. बता दें कि, 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 7 मिनट के बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो कि 12 अगस्तको 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगी.
वहीं रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 13 अगस्त को सुबह 3 बजकर 27 मिनट से 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. साथ ही जगन्नाथ पुरी, बनारस और उज्जैन में कृष्ण जन्माष्टमी 11 अगस्त को मनाई जाएगी. 11 अगस्त से अष्टमी की तिथि शुरू होगी. बता दें कि, श्री कृष्ण का जन्म स्थान मथुरा में और साथ ही द्वारिका में जन्माष्टमी 12 अगस्त के दिन ही मनाई जाएगी. कई स्थानों पर 12 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस 43 मिनट का पूजा का मुहूर्त है. जो रात्रि 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.
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