ISRO ने किया SSLV का सफल प्रक्षेपण, लेकिन साथ गए सैटेलाइटों से टूटा संपर्क

ISRO ने किया SSLV  का सफल प्रक्षेपण, लेकिन साथ गए सैटेलाइटों से टूटा संपर्क

नई दिल्ली: इसरो ने रविवार सुबह सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से देश मे निर्मित सबसे छोटे रॉकेट से 2 उपग्रह को लॉन्च किया। रॉकेट ने एक दम सही तरीके काम करते हुए दोनों सेटेलाइट EOS-02 और AzadiSATको अपनी-अपनी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया। बता दे कि, आज़ादीसैट उपग्रह कई कारणों से राष्ट्र के लिए एक विशेष उपलब्धि है।AzaadiSAT सैटेलाइट्स स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की देसी निजी स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट है। इसे देश की 750 लड़कियों ने मिलकर बनाया है।

आपको बता दे कि,रॉकेट ने सही तरीके से काम करते हुए दोनों सैटेलाइट्स को उनकी निर्धारित कक्षा में पहुंचा दिया। रॉकेट अलग हो गया। लेकिन उसके बाद सैटेलाइट्स से डेटा मिलना बंद हो गया। ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि इसरो मिशन कंट्रोल सेंटर लगातार डेटा लिंक हासिल करने का प्रयास कर रहा है। हम जैसे ही लिंक स्थापित कर लेंगे, देश को सूचित करेंगे।

EOS-0 2 और AzadiSAT क्या है खासियत

SSLVके जरिए ISROने जिन दो सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया उनमें  EOS-02 एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट हैं। जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा। इसका वजन 142 किलोग्राम है। इसमें मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है। जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है। यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है। AzaadiSAT सैटेलाइट्स स्पेसकिड्ज इंडिया नाम की देसी निजी स्पेस एजेंसी का स्टूडेंट सैटेलाइट है। इसे देश की 750 लड़कियों ने मिलकर बनाया है।

भविष्य सैटेलाइट मार्केट पर है नजर

ISRO अपने भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV), भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) के माध्यम से सफल अभियानों को अंजाम देने में एक खास जगह बनाने के बाद इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV)से पहला प्रक्षेपण किया। SSLVका फुल फॉर्म है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Small Satellite Launch Vehicle – SSLV)।यानी छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए अब इस रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके जरिए धरती की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit)में 500 किलोग्राम तक के सैटेलाइट्स को निचली कक्षा यानी 500 किलोमीटर से नीचे या फिर 300 किलोग्राम के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जाएगा। सब सिंक्रोनस ऑर्बिट की ऊंचाई 500 किलोमीटर के ऊपर होती है।

SSLV-D1 मिशन डिटेल और खासियत

लॉन्चिंग के लगभग 13मिनट बाद SSLVने सबसे पहले EOS-02को इच्छित कक्षा में स्थापित किया। इस उपग्रह को इसरो द्वारा डिजाइन किया गया है। इसके बाद AzaadiSATको पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया। लेकिन इन दोनों उपग्रहों से इसरो का संपर्क टूट गया है। SSLV34मीटर लंबा है, जो PSLVसे लगभग 10मीटर कम है और PSLVके 2.8मीटर की तुलना में इसका व्यास 2मीटर है। SSLVका उत्थापन द्रव्यमान 120टन है, जबकि SSLVका 320टन है, जो 1800किलोग्राम तक के उपकरण ले जा सकता है।

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