
नई दिल्ली: रूस में पहली बार भारतीय सेना दम दिखाने जा रही है. जिससे चीन की चिंता बढ़ सकती है. पहली बार तीनों भारतीय सेनाओं की एक टुकड़ी 24 जून को रूस की राजधानी मॉस्को के रेड स्क्वायर से मार्च करती हुई नजर आएगी. बता दें कि साल 2015 में केवल भारतीय थलसेना सैन्य परेड में शामिल हुई थी. इस कार्यक्रम के लिए रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता भेजा था.
रूस में होने वाली यह परेड 1945 में नाजी जर्मनी के आत्मसमर्पण के जश्न में मनाया जाता है. पिछले साल व्लादिवोस्तोक में मुलाकात के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को इस साल आने का न्योता दिया था. उनकी गैरमौजूदगी की भरपाई के लिए सरकार जल, थल और वायु सेनाओं के 75-80 जवान 19 जून को मॉस्को भेज रही है जो कि परेड में हिस्सा लेंगे.
रूस ने इस साल की परेड के लिए कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों को न्योता दिया था क्योंकि इस साल नाजियों पर विजय की 75वीं वर्षगांठ है. भारत की टुकड़ी परेड में ग्रेट पैट्रिऑटिक वॉर में भारतीय सैनिकों के योगदान का जिक्र करते हुए प्रदर्शन कर सकती है. फिलहाल परेड के विवरण पर काम जारी है. बता दें कि इस परेड को कई मायनों में देखा जा रहा है क्योंकि इस समय भारत के साथ चीन सीमा विवाद चल रहा है. जिसको लेकर भी यह परेड काफी महत्यपूर्ण है. भारत के रूस से पहले भी मित्रतापूर्ण संबंध रहे है. चीन की भी इस परेड पर नजर होगी. भारत और रूस के संबंध चीन की मुसीबतों को बढ़ा सकते है.
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