Women's Day: महिलाओं को बढ़ती उम्र के साथ जरूर करवाने चाहिए ये 5 मेडिकल टेस्ट, रहेंगी स्वस्थ

Women's Day: महिलाओं को बढ़ती उम्र के साथ जरूर करवाने चाहिए ये 5 मेडिकल टेस्ट, रहेंगी स्वस्थ

Women's Day 2024: इसमें कोई शक नहीं कि महिलाएं मल्टीटास्किंग होती हैं। एक साथ कई जिम्मेदारियां निभाना कोई महिलाओं से सीखे। वह लैपटॉप खोलकर ऑफिस का काम कर रही हैं और कुकर में पक रही दाल और उसकी सीटियां भी गिन रही हैं. घर में कूरियर आने से लेकर बच्चे को स्कूल से लाने तक हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखा जाता है।लेकिन महिलाएं अपनी सेहत को लेकर थोड़ी लापरवाह हो जाती हैं। आप आए दिन कमर दर्द और सिरदर्द को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन कभी-कभी यही लापरवाही आपको और आपके परिवार को परेशानी में डाल सकती है। इसलिए बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं को कुछ मेडिकल टेस्ट जरूर करवाने चाहिए। डॉक्टरों के मुताबिक 30-35 साल की उम्र के बाद यह टेस्ट जरूरी हो जाता है।

1- थायराइड फंक्शन टेस्ट-भारत में थायराइड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. महिलाओं को 30 साल के बाद थायराइड की जांच जरूर करानी चाहिए। हार्मोन में बदलाव, वजन बढ़ना, पीरियड्स की तारीखों में बदलाव इसके लक्षण हैं।

2- डायबिटीज टेस्ट-आजकल की जीवनशैली के कारण डायबिटीज के मरीज दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, आपको अपने ब्लड शुगर की जांच जरूर करानी चाहिए। डायबिटीज के कारण शरीर में इंसुलिन का उत्पादन ठीक से नहीं हो पाता है, जिससे शरीर में कमजोरी और थकान होने लगती है।

3- कैंसर की जांच-35 साल की उम्र के बाद महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर की भी जांच करानी चाहिए। 35 साल की उम्र के बाद स्तन कैंसर के लिए बीआरसीए जीन टेस्ट किया जाता है। हर महिला को ये दोनों टेस्ट जरूर करवाने चाहिए। सही समय पर कैंसर का पता चलने से जान बचाई जा सकती है।

4- कंप्लीट ब्लड काउंट(CBC)- सीबीसी को पूरे शरीर के जांच के लिए अहम टेस्ट माना जाता है। इससे शरीर में होने वाले इंफेक्शन, एनीमिया और कई तरह के डिसऑर्डर के बारे में पता लगाया जा सकता है। इससे हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स के बारे में भी पता चलता है। महिलाओं को समय समय पर ये टेस्ट कराते रहने चाहिए।

5- हार्ट का टेस्ट-बढ़ती उम्र का असर दिल की सेहत पर भी होने लगता है। इसलिए 35 साल के बाद महिलाओं को अपना हार्ट टेस्ट भी जरूर करवाना चाहिए। इससे हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया और हाइपर कार्डियोमायोपैथी जैसी समस्याओं का समय रहते पता लगाया जा सकता है।

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