Health Tips: सोशल मीडिया का नाम हम जैसे ही सुनते हैं हमारे दिमाग में सामने आता है फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और एक्स। भारत में टिक टॉक के बैन होने के बाद इंस्टा रिल्स और यूट्यूब शार्ट्स ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा। आलम ये है कि अब लोग इसके आदी हो चुके हैं। 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार, रोज एक आम यूजर 300 फीट स्क्रीन को स्क्रॉल करता है और ये महीने में 2.7 किमी हो जाता है।
उस दौरान सोशल मीडिया पर शॉर्ट्स और रील्स का चलन नहीं था जिससे अब ये आंकड़ा पहले के मुकाबले और भी ज्यादा हो गया होगा। इस लत की वजह से अब यूजर्स में नई-नई बीमारियां देखने को मिल रही हैं। हाल ही में काफी सोशल मीडिया यूजर्स में पॉपकॉर्न ब्रेन की समस्या देखी गई है। ऐसे में आज हम बताएंगे आखिर क्या है पॉपकॉर्न ब्रेन
पॉपकॉर्न ब्रेन के ये होते हैं लक्षण
अगर आप भी सोशल मीडिया यूजर हैं और सोशल मीडिया यूज करने से किसी काम पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं तो आप पॉपकॉर्न ब्रेन से ग्रसित हो सकते हैं। पॉपकॉर्न ब्रेन मनोविज्ञान का एक टर्म होता है जिसे साल 2011 में यूडब्ल्यू आई स्कूल के शोधकर्ताओं ने दिया था। जिसमें दिमाग और डिजिटल दुनिया की तरह मल्टीटास्किंग और स्क्रॉलिंग का आदी हो जाता है और दिमाग काम करने के दौरान वैसे ही रियेक्ट करता है और आपके जो विचार होते हैं वो पॉपकॉर्न की तरह इधर-उधर घूमने लगते हैं।
मेमोरी पर डालता है गलत प्रभाव
कई स्टडीज के अनुसार, फोन, कम्प्यूटर और सोशल मीडिया का लगातार उपयोग से हमारे दिमाग पर गहरा प्रभाव डालता है इसके साथ ही इससे हमारी ध्यान की अवधि पर भी नकारत्मक प्रभाव डालता है। अगर इसका सही समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो ये तो धीरे-धीरे लर्निंग और मेमोरी पर भी नेगेटिव असर डालता है इसके साथ ही इससे इमोशन पर भी असर पड़ता है इससे कई लोगों में एंग्जायटी की भी परेशानी देखने को मिलती है।
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