
नई दिल्ली : आज पूरे देश में हरतालिका तीज मनाई जा रही है. हर साल यह त्योहार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है.यह व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए है.इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए व्रत रखती हैं. इस व्रत में महिलाएं माता गौरी से सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मांगती हैं.
आपको बता दें कि, आज हरतालिका तीज है. यह व्रत वैवाहिक महिलाओं के लिए काफी महत्तवपूर्ण होता है. यह व्रत काफी कठिन होता है, क्योंकि इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं. इस तीज पर शाम को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता. फिर उन्हें भी रोली, अक्षत और मौली अर्पित करें. चांदी की अंगूठी और गेंहू के दानों को हाथ में लेकर चंद्रमा के अर्ध्य देते हुए अपने स्थान पर खड़े होकर परिक्रमा करें.
वहीं हरतालिका का शाब्दिक अर्थ की बात करें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है हरत और आलिका, हरत का अर्थ होता है अपहरण और आलिका अर्थात् सहेली, इस संबंध में एक पौराणिक कथा मिलती है. जिसके अनुसार पार्वती जी की सखियां उनका अपहरण करके जंगल में ले गई थी. ताकि पार्वती जी के पिता उनका विवाह इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से न कर दें. अपनी सखियों की सलाह से पार्वती जी ने घने वन में एक गुफा में भगवान शिव की अराधना की. भाद्रपद तृतीया शुक्ल के दिन हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने मिट्टी से शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजा की और रातभर जागरण किया. पार्वती जी के तप से खुश होकर भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया था.
साथ ही ये भी बता दें कि, जो भी वैवाहिक महिलाए ये व्रत रखती है. उन्हें इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य है कि, व्रत करने के बाद इसे बीच में छोड़ा नहीं जाता है. हर साल इस व्रत को पूरे विधि-विधान से करना चाहिए.हरतालिका तीज व्रत के दिन महिलाएं रात भर जाग कर भजन किर्तन करती हैं. इस दिन रात में सोना शुभ नहीं माना जाता है.
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