नई दिल्ली: ईसाई धर्म में ईस्टर संडेका बहुत महत्व है. इसे लोग प्रभु ईसा मसीह के पुन:जीवित होने की खुशी में मनाते हैं, और उनसे प्रार्थना करते हैं,ईस्टर संडे गुडफ्राइडे के तीसरे दिन मनाया जाता है. आज के दिन यानि 4 अप्रैलको ईस्टर संडे मनाया जा रहा है.
2000 साल पहले यरुशलम के गैलिली प्रांत में ईसा मसीह, लोगों को मानवता, एकता और अहिंसा का उपदेश देकर अच्छाई की राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रहे थे. उनके उपदेशों से प्रभावित होकर लोग उनके बताए राह पर चलने लगे थे, और उन्हें ईश्वर मानने लगे. जिसके कारण धार्मिक अंधविश्वास फैलाने वाले धर्मगुरु उनसे चिढ़ने लगे और उनका शिकायत रोम के शासक पिलातुस से कर दी. राजद्रोह के आरोप में उन्हेंमौत की सजा सुनाई गई और तमाम शारीरिक यातनाएं देकर सूली पर चढ़ा दिया गया.
बाइबल के अनुसार, गोलगोथा नाम के स्थान पर उन्हे सूली पर चढ़ाया गया था. गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह ने लोगों की भलाई के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी थी. सूली पर चढ़ने के बाद तीसरे दिन यानी संडे को ईसा मसीह दोबारा जीवित हो गए थे. जिसे ईस्टर संडे के रूप में मनाया जाता है. अगले 40 दिनों तक वह लोगों के बीच में रह कर उन्हें उपदेश देते थे.
आज के दिन चर्च में उनके जीवन के आखिरी पलों को याद किया जाता है. इस दिन चर्च और घरों में किसी तरह की सजावट की जाती हैं. बाइबल का पाठ किया जाता है. आज के दिन महिलाएं सुबह उठकर प्रार्थना करती है. मान्यता है कि सुबह में ही प्रभु ईसा मसीह का पुनर्जीवन हुआ था और उन्हें सबसे पहले मरियम मगदलीनी नाम क महिला ने देखा था. उसके बाद अन्य महिलाओं को इसके बारे में पता चला था. इसे ही सनराइज सर्विस कहते है.
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