
नई दिल्ली:8 नवंबर यानी आज का दिन भारत के इतिहास के पन्नों पर लिखा गया वो दिन है, जिसे देश के हर वर्ग के लोगों को याद जरूर होगा और नहीं है तो हम आपको बताते है। 8 नवंबर 2016 की वो सुबह बाकि दिनों से बहुत अलग सुबह थी। इस तारीख से एक रात पहले ही सरकार ने देर रात देश में नोटबंदी का फरमान जारी कर दिया था।
बता दें, 7 नवंबर 2016 की वो रात जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता को संबोधित किया और बताया कि रात 12 बजे से देश में 500, 1000 के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया यानी इस नोटों को अवैध करार कर दिया। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद करेंसी के सबसे अधिक वैल्यू के नोट 1,000/- को बंद कर नया 2,000/- का नोट जारी किया गया था। बता दें कि यह पहला मौका नहीं था जब पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर कर नए नोट जारी किए गए थे। देश में इससे पहले भी डिमोनेटाइज़ेशन का फैसला लिया जा चुका है। आइये जानते हैं कब और कैसे-
देश की पहली नोटबंदी
देश में पहली नोटबंदी अंग्रेजो के समय हुई थी। 12 जनवरी साल 1946 को भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल, सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने उच्च मूल्य वाले बैंक नोट बंद करने का अध्यादेश प्रस्तारवित किया था। इसके साथ ही 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से 500 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के बैंक नोट अमान्य हो गए थे।
साल की दूसरी नोटबंदी 1978 में
देश में दूसरी नोटबंदी 16 जनवरी 1978 को हुई थी। यह जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने काले धन को खत्म करने के लिए 1000 रुपये, 5000रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया था। सरकार के इस बयान के बाद 1000 रुपये, 5000रुपये और 10,000 रुपये को अवैध करार कर दिया गया। इसके अगले दिन 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी शाखाओं के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का भी फैसला किया गया। उस समय देसाई सरकार में वित्त मंत्री एच.एम. पटेल थे जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त सचिव थे।
Leave a comment