
Kanwar Yatra 2025: सावन का पवित्र महीना शुरु होते ही श्रद्धालु भगवान शिव की भक्ति में डूब जाते हैं। इसी के साथ कांवड़ यात्रा भी शुरु हो जाती है। जो देशभर में आस्था का प्रतीक मानी जाती है। इसी बीच, कांवड़ यात्रा के दौरान दिल्ली के नजफगढ़ निवासी दो भाइयों, आकाश ठाकुर और सुमित ठाकुर की दिल छू लेने वाली कहानी सामने आई है। ये दोनों भाई अपनी मां किरण देवी को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार से दिल्ली तक की यात्रा कर रहे हैं। दोनों भाई हर दिन लगभग 15किलोमीटर पैदल चलते हैं।
पिता से मिली बेटों को प्रेरणा
बता दें, अपनी मां के प्रति आकाश और सुमित का यह प्रेम उनके पिता से प्रेरित है, जो अपनी मां (यानी इन भाइयों की दादी) को कांवड़ में बैठाकर कई बार कांवड़ यात्रा पूरी कर चुके थे। पिता के अपनी मां के प्रति इस प्रेम और समर्पण को देखते हुए दोनों भाइयों ने भी अपनी मां के साथ इस पवित्र यात्रा को करने का संकल्प लिया। आकाश साल 2012से कांवड़ यात्रा में हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने बताया 'हम अपने पिता के नक्शेकदम पर चल रहे हैं। यह हमारी दूसरी यात्रा है, जिसमें हम मां को कांवड़ में बैठाकर ला रहे हैं।'
इस यात्रा में दोनों भाई हर की पौड़ी, हरिद्वार से गंगाजल लेकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। उनकी मां किरण देवी कांवड़ में बैठती हैं, और दोनों भाई बारी-बारी से कांवड़ को कंधों पर उठाकर चलते हैं। यह यात्रा करीब 200किलोमीटर की है, जिसे वे हर दिन 15किलोमीटर चलकर पूरा कर रहे हैं।
भक्ति और मातृसेवा का अनूठा संगम
यह यात्रा केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है। यह माता-पिता के प्रति समर्पण और सेवा की भावना को भी दर्शाती है। आकाश और सुमित का कहना है कि इस यात्रा के जरिए वे न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, बल्कि समाज को यह संदेश भी देना चाहते हैं कि माता-पिता की सेवा सर्वोपरि है। आकाश का कहना है कि हम चाहते हैं कि लोग अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनकी सेवा करें। यह हमारा कर्तव्य है।
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