
Delhi Pollution: दिल्ली-NCR में सर्दियों की शुरुआत होते ही शहर की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। हर साल इस प्रदूषण का जिम्मेदार पराली जलाने को ठहराया जाता था, लेकिन इस बार पराली की घटनाएं 71 प्रतिशत कम हुईं। फिर भी AQI बहुत ही खराब हालात में नजर आ रहा है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की नई रिपोर्ट में सामने आया कि असली वजह स्थानीय सोर्स हैं। गाड़ियां, फैक्ट्रियां, कचरा जलाना और धूल, वैज्ञानिक कारण? ठंडी हवा में प्रदूषक फंस जाते हैं, जो सांस की बीमारियां पैदा करते हैं।
क्या कहती है रिपोर्ट?
इस साल पंजाब-हरियाणा में बाढ़ आने की वजह से पराली जलाने की संख्या कम हुई। CPCB के डेटा के अनुसार, 12 से 13 नवंबर, 2025 को सिर्फ 22 प्रतिशत योगदान और बाकी दिन 5 प्रतिशत से कम रहा। फिर भी नवंबर में PM 2.5 औसत 174 माइक्रोग्राम/घन मीटर रहा, जो WHO स्टैंडर्ड से 35 गुना ज्यादा है। वैज्ञानिक कारण को देखे तो PM 2.5 बारीक कण हैं जो फेफड़ों में जाकर सूजन पैदा करते हैं। रिपोर्ट कहती है कि स्थानीय स्रोर्स 80 प्रतिशत जिम्मेदार है।
दिए गए ये सुझाव
रिपोर्ट कहती है छोटे-छोटे कदम काम नहीं आएंगे। उत्सर्जन कम करने से AQI 50 प्रतिशत गिर सकता है। इसके साथ ही कुछ सुझाव दिया कि गाड़ियों को इलेक्ट्रिक बनाओ, पुरानी स्क्रैप करो। पब्लिक ट्रांसपोर्ट बढ़ाओ, साइकिल-वॉकिंग पाथ बनाओ। पार्किंग लिमिट, कंजेशन टैक्स लगाओ। फैक्ट्रियों में क्लीन फ्यूल, पावर प्लांट्स पर सख्त स्टैंडर्ड। कचरा अलग करो, रिसाइकल करो, जलाना बंद करें। कंस्ट्रक्शन वेस्ट रिसाइकल, धूल कंट्रोल मॉनिटरिंग। घरों में क्लीन कुकिंग गैस, पराली को बायो-मेथेनेशन से एथेनॉल बनाओ।
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