Delhi Education: दिल्ली सरकार ने स्कूली शिक्षा को सस्ता और पारदर्शी बनाने के लिए एक अहम कदम उठा जा रहा है। दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने हाल ही में ऐलान किया है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भारतीय पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों (ट्रेडिशनल नॉलेज सिस्टम्स) में ट्रेनिंग दी जाएगी।
यह ट्रेनिंग देश के दो प्रतिष्ठित संस्थानों IIT मंडी और IIT गांधीनगर में आयोजित की जाएगी। आशीष सूद ने आगे बताया कि इस पहल का उद्देश्य शिक्षकों को भारतीय ज्ञान परंपराओं जैसे आयुर्वेद, योग, भारतीय दर्शन, और प्राचीन विज्ञान, से परिचित कराना है, ताकि वे इसे आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ सकें और छात्रों को अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकें।
ट्रेनिंग के लिए चुने गए ये दो IIT संस्थान
जानकारी के अनुसार, इस ट्रेनिंग के पहले चरण में लगभग 50 सरकारी स्कूल शिक्षकों को चुना जाएगा और उन्हें पांच-पांच के समूहों में बांटा जाएगा। इसके बाद उन्हें हिमाचल प्रदेश के IIT मंडी और गुजरात के IIT गांधीनगर में पांच से सात दिनों तक ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग के दौरान कार्यशालाएँ और सेमिनार आयोजित की जाएगी। इसके अलावा योग, ध्यान, और अन्य प्रथाओं में ट्रेनिंग, शिक्षकों को पाठ्य सामग्री और डिजिटल संसाधन प्रदान की जाएगी। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद शिक्षकों का मूल्यांकन किया जाएगा और उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किए जाएंगे।
बता दें, दोनों संस्थान न केवल तकनीकी शिक्षा में सबसे आगे हैं, बल्कि भारतीय ज्ञान प्रणालियों के संरक्षण और अनुसंधान में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। IIT मंडी ने हाल के सालों में हिमालयी क्षेत्र की पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों पर शोध को बढ़ावा दिया है। जबकि IIT गांधीनगर ने भारतीय दर्शन और संस्कृति पर आधारित कई शैक्षिक कार्यक्रम शुरू किए हैं।
ट्रेनिंग का उद्देश्य और महत्व
यह ट्रेनिंग कार्यक्रम भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपराओं को स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दिल्ली सरकार का मानना है कि भारतीय ज्ञान प्रणालियाँ न केवल सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करती हैं, बल्कि ये आधुनिक शिक्षा को भी समृद्ध कर सकती हैं। इस मामले में आशीष सूद ने कहा कि यह कार्यक्रम आधुनिक शिक्षा और भारत की सदियों पुरानी ज्ञान परंपराओं के बीच की खाई को खत्म करने के लिए कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस पहल से शिक्षकों को न केवल तकनीकी ज्ञान मिलेगा, बल्कि वे छात्रों को भारतीय संस्कृति और विज्ञान के प्रति गर्व और जागरूकता भी विकसित कर सकेंगे।
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