
Cyber Crime: दिल्ली में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर साइबर ठगी का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस ने साइबर फ्रॉड सिंडिकेट के 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन्होंने 82 साल के एक बुजुर्ग आदमी को मानसिक दबाव में रखकर 1.16 करोड़ रुपए ठग लिए। ये ठगी पूरी तरह योजनाबद्ध थी। आरोपियों ने कानून के डर को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाया।
बुजुर्ग को दिखाया नकली अरेस्ट ऑर्डर
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने वीडियो कॉल के माध्यम से खुद को पुलिस अधिकारी बताया। कॉल के दौरान बुजुर्ग को एक नकली अरेस्ट ऑर्डर दिखाया। उनसे कहा गया कि उनके खिलाफ गंभीर कानूनी कार्रवाई होने वाली है। लगातार धमकियों और साइकोलॉजिकल प्रेशर की वजह से पीड़ित को 'डिजिटल अरेस्ट' की स्थिति में रखा गया। उस पर पैसे देने का दबाव बनाया गया।
बुजुर्ग से करोड़ों रुपये वसूले
उनसे अलग-अलग ट्रांजेक्शन के माध्यम से उनसे कुल 1.16 करोड़ रुपये वसुले। पुलिस जांच में सामने आया कि ठगी की रकम का बड़ा हिस्सा लगभग 1.10 करोड़ रुपये हिमाचल प्रदेश के एक NGO के करंट अकाउंट में जमा कराया गया। हैरानी की बात ये रही कि ये अकाउंट भले ही हिमाचल में खोला गया हो, लेकिन इसे पटना से ऑपरेट किया जा रहा था।
बैंक अकाउंट के खिलाफ मिले कई रिपोर्ट
पुलिस ने जब बैंक डिटेल चेक की तो इस अकाउंट के खिलाफ नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर 32 शिकायतें दर्ज मिलीं, जिनमें कुल 24 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का जिक्र था। टेक्निकल एनालिसिस और फाइनेंशियल ट्रेल के आधार पर दिल्ली पुलिस ने हिमाचल प्रदेश और बिहार में कई जगह छापेमारी की थी। इसके बाद पुलिस ने 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
आरोपियों की हुई पहचान
पकड़े गए आरोपियों की पहचान बिहार के नालंदा जिले के प्रभाकर कुमार, वैशाली जिले के रूपेश कुमार सिंह और हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के देव राज के रूप में हुई है। प्रभाकर कुमार ने देव राज के मोबाइल फोन में एक खतरनाक APK फाइल इंस्टॉल की थी। इस फाइल के माध्यम से धोखाधड़ी वाले बैंक अकाउंट से जुड़े सिम कार्ड एक्टिवेट किए गए।
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