कोर्ट ने मेहुल चोकसी को दिया बड़ा झटका, कहा- भारत में किए गए अपराध का दंड बेल्जियम में भी लागू

कोर्ट ने मेहुल चोकसी को दिया बड़ा झटका, कहा- भारत में किए गए अपराध का दंड बेल्जियम में भी लागू

Mehul Choksi Case: मेहुल चोकसी बेल्जियम की एक कोर्ट ने बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने कहा कि भगोड़े हीरा व्यापारी के प्रत्यर्पण मामले में भारत द्वारा जिक्र किए गए मामलों को बेल्जियम के कानून के तहत भी अपराध माना जाएगा। कोर्ट का कहना है कि विदेशी नागरिक चोकसी को 1874 के बेल्जियम प्रत्यर्पण अधिनियम के तहत प्रत्यर्पण करना पड़ सकता है।

याचिका हुई थी खारिज

पिछले हफ्ते एंटवर्प की अदालत ने चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी और फैसला सुनाया कि इस साल की शुरुआत में बेल्जियम पुलिस द्वारा की गई उसकी गिरफ्तारी वैध थी। 66 साल के चोकसी को भारतीय अधिकारियों की औपचारिक गुजारिश पर 11 अप्रैल को एंटवर्प पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तभी से वह बेल्जियम की एक जेल में बंद है, जहां उसकी कई जमानत याचिकाएं खारिज कर दी गई और वजह ये बताई गई कि उसके भागने का डर है।

मेहुल पर लगाए गए कई आरोप

17 अक्टूबर, 2025 को अपने आदेश में कोर्ट के अभियोग चैंबर ने बताया कि भारतीय अधिकारियों द्वारा लिस्टेड अपराध, जिनमें आपराधिक षडयंत्र, भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और जालसाजी शामिल हैं। भारतीय और बेल्जियम दोनों कानूनों के तहत 1 साल से ज्यादा जेल की सजा का प्रावधान है। इन अपराधों के तहत कहा गया कि कथित अपराध 2016 के आखिरी और 2019 की शुरुआत के बीच भारत में हुए। बेल्जियम में इन अपराधों के लिए एक साल से ज्यादा दिन की जेल की सजा का प्रावधान है, जैसा कि बेल्जियम आपराधिक संहिता के कई अनुच्छेदों में बताया गया है। हालांकि, अभी सभी आरोपों को मान्यता नहीं दी गई है।

बचाव पक्ष ने कही ये बात

वहीं, चौकसी के बचाव पक्ष ने भारतीय न्याय प्रणाली और जेल की स्थितियों के बारे में प्रेस लेख और रिपोर्ट प्रस्तुत कीं। बचाव पक्ष ने कहा कि संबंधित शख्स द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज ठोस रूप से स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं कि संबंधित व्यक्ति को न्याय से वंचित जाए या फिर यातना दिए जाने या अमानवीय एवं अपमानजनक व्यवहार किए जाने का वास्तविक और गंभीर खतरा है। इस नतीजे के साथ कि भारत में प्रमुख आरोप बेल्जियम में भी अपराध हैं। साथ ही न्याय से इनकार या दुर्व्यवहार के खतरे का कोई ठोस सबूत नहीं है, अदालत का फैसला चोकसी के प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिशों के लिए एक बड़ी कानूनी बाधा को दर्शाता है। 

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