पाकिस्तान में शुरू हुआ ऐतिहासिक गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण, जानें इस नायाब गुरुद्वारे क्या है इतिहास

पाकिस्तान में शुरू हुआ ऐतिहासिक गुरुद्वारे का पुनर्निर्माण, जानें इस नायाब गुरुद्वारे क्या है इतिहास

नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बंटवारे का असर लोगों के साथ-साथ पाकिस्तान के एक गुरूद्वारे पर भी पड़ा है।आज से लगभग आठ दशक पहले पाकिस्तान के सियालकोट में एक गुरूद्वारे का निर्माण कार्य शुरू हुआ था लेकिन साल 1947 में भारत, पाकिस्तान विभाजन की वजह से इस गुरूद्वारे का निर्माण कार्य कभी पूरा नहीं हो पाया था। लेकिन अब पाकिस्तान में इस गुरूद्वारे का निर्माण दूबारा किया जा रहा है।

बता दें कि, मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरू नानक देव अपनी चौथी उदासी के दौरान इसी गुरूद्वारे में ठहरे थे। वहीं जानकारी के मुताबिक लगभग 75 साल बाद इस गुरूद्वारे का काम दोबारा शुरू होने जा रहा है। इसके अलावा इस गुरूद्वारे का निर्माण कार्य साल 1944 में शुरू किया गया था लेकिन साल 1947 में बंटवारे की वजह से यह पूरा नहीं हो पाया था। वहीं अब ईटीपीबी के चेयरमैन हबीब उर रहमान का कहना है कि उन्होंने ऐतिहासिक गुरूद्वारे नानक के रेनोवेशन और रेस्टोरेशन का काम शुरू कर दिया गया है। यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की दस्का के फतेह भिंडर गांव में मौजूद है।

वहीं पाकिस्तान के इतिहासकार शाहिद शब्बीर का कहना है कि गुरू नानक देव की चौथे उदासी पूरा होने पर वह फतेह भिंडर गांव में ठहरे थे। उन्होंने बताया कि लगभग 100 साल पहले इसी स्थान पर एक गुरुद्वारे का निर्माण किया गया था. हालांकि, विभाजन से तीन साल पहले एक स्थानीय सिख फतेह सिंह भिंडर ने गुरुद्वारे की नई इमारत की नींव डाली। लेकिन विभाजन के बाद वह भारत चले गए और गुरुद्वारे के निर्माण का काम अधूरा रह गया। लेकिन अब पाकिस्ता की सरकार अपने अधूरे काम को पूरा करने जा रही है।

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