
नई दिल्ली: कोरोना ने पूरे विश्व में एक बार फिर से अपना कहर मचाना शुरू कर दी है। सबसे ज्यादा कोरोना ने चीन में तबाही मचाना शुरू कर दिया है। वहीं सरकार ने एक लॉकडाउन लगाना शुरू कर दिया है। जिसको लेकर अब लोगों विरोध प्रदर्शन कर रहे है। यह प्रदर्शन चीन में चल रही जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ किया जा रहा है, लोग भारी संख्या में सड़कों पर उतर आए हैं। बीजिंग से शुरू हुए ये प्रदर्शन अब 13 बड़े शहरों तक पहुंच चुका है।
चीन में लगातार कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए लॉकडाउन लगाया गया है, लेकिन लोगों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना जारी कर दिया गया है। चीन के विश्वविद्यालयों से लेकर सड़कों तक लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार के खिलाफ नारेबाजी ज़ोर शोर से जारी है। चीन में कोविड प्रतिबंधों के खिलाफ कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी की।
चीन के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हमें फ्रीडम ऑफ प्रेस, फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, फ्रीडम ऑफ मूवमेंट चाहिए। हमें हमारी आजादी दे दो। इस दौरान लोग नारेबाजी करते हुए लॉकडाउन हटाने और आजादी देने की मांग कर रहे हैं। वहीं रविवार को रिपोर्ट किए गए 40,000 संक्रमणों के साथ कोरोनो वायरस के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। चीन में चल रहे कड़े कोविड लॉकडाउन के कारण सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन की लहर बहुत तेज़ हो गई है।
प्रदर्शन की वजह
चीन में लगातार कोरोना की स्थिती ख़राब होती जा रही है। बीते कुछ दिनो में केस बढ़ते नज़र आ रहे है। 27 नवंबर को कोरोना के 40 हजार मामले सामने आए हैं। ये अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। चीन में अब एक्टिव केस का आंकड़ा 3 लाख के पार हो गया है। जिस कारण शी जिनपिंग सरकार ने देश में कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये है। सख्त लॉकडाउन के कारण 66 लाख लोग घरों में कैद हो गए है। इन लोगो को खाने के सामान के लिए भी बाहर जाने पर रोक लगाई जा रही है। प्रतिदिन हो रहे कोविड टेस्टो के कारण भी लोगों में नाराजगी बढ़ गई है। जो लोग सरकार के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जा रही है।
आपको बता दें कि चीन में विरोध बहुत कम होता है यहां की सरकार के खिलाफ असहमति के लिए काफी कड़ी सजा का प्रावधान है। लेकिन सख्त लॉकडाउन के कारण लोगो में भारी गुस्सा देखने को मिला है। विभिन्न विश्वविद्यालयों से प्रदर्शनकारियों का वीडियो सामने आया हैं, जिसमें छात्र सरेआम नारेबाजी, तालाबंदी करते दिख रहे है। यह विरोध बड़ कर बीजिंग के सिंघुआ विश्वविद्यालय तक पँहुच गया है। सिंघुआ के सैकड़ों छात्रों ने रविवार को एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, एक छात्र ने बताया कि सुबह 11:30 बजे छात्रों ने कैंटीन के प्रवेश द्वार पर साइन बोर्ड लगाना शुरू कर दिया था,देखते ही देखते अधिक से अधिक लोग इस विरोध में जुट गए। बता दे कि अब 200 से 300 लोग जुड़ गए है। छात्रों ने राष्ट्रगान गाकर, और ‘स्वतंत्रता लेकर रहेंगे’ के नारे सरेआम लगाए।
आपको बता दे कि चीन के पेकिंग विश्वविद्यालय में भी विरोध प्रदर्शन जारी है। विश्वविद्यालय की दीवारो पर कोविड-विरोधी नारों को चित्रित किया गया। ‘नो टू कोविड टेस्ट, यस टू फ्रीडम.’जैसे नारे लगाए जा रहे है। प्रदर्शन में कई छात्र जुडते नज़र आए है।
लोग ब्लैंक व्हाइट पेपर क्यों दिखा रहे
प्रदर्शनकारी असंतोष जताते हुए खाली सफेद कागज (ब्लैंक व्हाइट पेपर) लेकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं। बीजिंग में भी स्टूडेंट्स ब्लैंक व्हाइट पेपर लेकर साइलेंट प्रोटेस्ट करते दिखे। ये एक तरह से सेंसरशिप या गिरफ्तारी से बचने के तौर पर किया जाने वाला विरोध है।
जिनपिंग गद्दी छोड़ो के नारे लगा रहे
लोग जिनपिंग गद्दी छोड़ो, कम्युनिस्ट पार्टी गद्दी छोड़ो, शिनजियांग को अनलॉक करो, चीन को अनलॉक करो, पीसीआर टेस्ट नहीं चाहिए, प्रेस की आजादी चाहिए जैसे नारे लगा रहे। लोग सरकार से आजादी के लिए गुहार लगा रहे है। लेकिन सरकार किसी भी कीमत पर इस प्रदर्शन को कुचलना चाहती है। इसलिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। बीबीसी के एक पत्रकार को भी कड़ी सज़ा दी गई है। उसको मारा-पीटा गया और फिर उसे रिहा कर दिया गया। BBC के मुताबिक, पुलिस ने उसके हाथ बांधे, पीटा और उसे लात भी मारी। इधर, चीनी अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि एड लॉरेंस ने गिरफ्तारी के समय नहीं बताया था कि वो पत्रकार है। उसके पास आईडेंटिटी और प्रेस कार्ड भी नहीं था।
कितने शहरों तक पँहुच गया प्रदर्शन
प्रदर्शन राजधानी बीजिंग से शुरू होकर अब लॉन्चो, शियान, चोंगकिंग, वुहान, झेंगझोऊ, कोरला, होटन, ल्हासा, उरुमकी, शंघाई, नानजिंग, शिजियाझुआंग तक पहुंच गया है। यहां पिछले तीन दिनों से लोग सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। लगातार नारेबाजी जारी है।
विरोध पर चीनी मीडिया चुप
चीन की मीडिया इस विरोध प्रदर्शन को लेकर चुपी सादे हुए है। वहां प्रोटेस्ट से जुड़ी कोई भी खबर नहीं दिखाई जा रही है।चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में एक आर्टिकल पब्लिश किया गया है, जिसमें ये बताया गया है कि वेस्टर्न मीडिया जीरो कोविड पॉलिसी से जुड़े मामलो को हवा दे रहे हैं।
लंदन में भी प्रदर्शन जारी
चीन की जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ लंदन में भी प्रदर्शन करते लोग नज़र आए है। यहां चीनी दूतावास के बाहर 27 सितंबर को सैकड़ों लोग इक्कठा हो गए और 25 नवंबर को शिंजियांग में हुए हादसे को लेकर विरोध शुरू करने लगे। इस हादसे में इमारत में आग लगने से मारे गए 10 लोगों की मौत को लेकर नागरिकों में भारी नराज़गी देखी गई। चीन में अधिकतर लोग सख्त कोरोना प्रतिबंधों को इन मौतों की वजह बता रहे हैं। हालांकि, चीनी प्रशासन इस आरोप को ख़ारिज कर दिया है। आयरलैंड के डबलिन, ब्रिटेन के शेफील्ड, कनाडा के टोरंटो और अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में भी प्रदर्शन देखे जा रहे है।
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