छपाक मूवी के रिव्यू

छपाक मूवी के रिव्यू

कहानी एसिड अटैक विक्टिम सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है।

बीते सालों में रुपहले पर्दे ने इस बात को लगातार साबित किया है। इस दौर में जिस तरह से सामजिक मुद्दों वाली और महिलाओं की त्रासदी को दिखानेवाली फिल्मों का ट्रेंड चला है, उसमें मेघना गुलजार निर्देशित और दीपिका पादुकोण अभिनीत छपाक सबसे मजबूत कॉन्टेंट के साथ प्रस्तुत हुई हैं।

कहानी एसिड अटैक विक्टिम सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल के जीवन पर आधारित है। कहानी की शुरुआत एसिड विक्टिम सर्वाइवर मालती से होती है, जो नौकरी की तलाश में है। इस कोशिश में उसे बार-बार तेजाबी हमले से हुए उसके बदसूरत चेहरे की याद दिलाई जाती है। कई सर्जरी से गुजर चुकी मालती को जब एक पत्रकार ढूंढकर उसका इंटव्यू करती है, तब कहानी की दूसरी परतें खुलती हैं।

मालती एसिड विक्टिम सर्वाइवर्स के लिए काम करनेवाले एनजीओ से जुड़ती है, जहां कई एसिड विक्टिम्स के साथ एनजीओ के कर्ता-धर्ता अमोल से मिलती है। उसके बाद तेजाबी हमले की शिकार दूसरी लड़कियों के जरिए मालती की दारुण त्रासदी सामने आती है। 19 साल की खूबसूरत और हंसमुख मालती सिंगर बनने के सपने देख रही, मगर बशीर खान उर्फ बबू द्वारा किए गए अमानुषी एसिड अटैक के बाद उसकी जिंदगी पहले जैसे कभी नहीं रह पाती।

निर्देशक के रूप में मेघना गुलजार की खूबी यह है कि उन्होंने कहानी को रियलिस्टक रखा है।एसिड अटैक की त्रासदी को कहीं भी मेलोड्रैमेटिक या सनसनीखेज नहीं होने दिया। फिल्म का फर्स्ट हाफ जरूर कुछ सुस्त है, मगर मध्यांतर के बाद घटनाक्रम अपनी रफ्तार पकड़ता है। तलवार और राजी जैसी सफल और विचारप्रेरक फिल्मों का निर्देशन कर चुकी मेघना ने इसे डॉक्यू ड्रामा के अंदाज में फिल्माया है। मेघना सुंदरता की परंपरागत धारणा पर भी प्रहार करती नजर आती हैं।

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