सिर्फ 56 हजार लोगों के हाथ में दुनिया की दौलत की चाबी, नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

सिर्फ 56 हजार लोगों के हाथ में दुनिया की दौलत की चाबी, नई रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

New Global Inequality Report:Just Imgine! एक क्रिकेट स्टेडियम भरकर 56 हजार लोग, जो न सिर्फ प्राइवेट जेट्स पर घूमते हैं, बल्कि पूरी दुनिया की आर्थिक ताकत को अपने हाथों में थामे हुए हैं - क्यों हो गए ना रोंगटे खड़े। दरअसल, नई 'वर्ल्ड इनइक्वालिटी रिपोर्ट 2026' के आंकड़ों ने दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस रिपोर्ट की मानें तो दुनिया की आबादी का महज 0.001 फीसदी यानी करीब 56 हजार अल्ट्रा-रिच लोग आधी मानवता से तीन गुना ज्यादा दौलत कंट्रोल करते हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि वैश्विक असमानता की गहराई को उजागर करता है, जहां गरीबों की हिस्सेदारी लगातार सिकुड़ रही है।

दुनिया भर की दौलत का कंट्रोल सिर्फ 0.001% लोगों के पास

दरअसल, फ्रेंच इकोनॉमिस्ट थॉमस पिकेटी और वर्ल्ड इनइक्वालिटी लैब के सहयोग से तैयार यह रिपोर्ट 10 दिसंबर को जारी हुई। इसमें कहा गया है कि ये 56 हजार लोग, जिन्हें सेंटीमिलियनेयर्स और बिलियनेयर्स कहा जाता है, दुनिया की कुल दौलत का 6 फीसदी हिस्सा रखते हैं। वहीं, दुनिया की आधी आबादी यानी करीब 2.8 अरब वयस्कों के पास महज 2 फीसदी दौलत है। सरल शब्दों में, इन 56 हजार लोगों की संपत्ति आधी दुनिया से तीन गुना ज्यादा है!

रिपोर्ट के आंकड़े के अनुसार, सबसे अमीर 10 फीसदी लोगों के पास 75 फीसदी दौलत है। तो वहीं, मिडिल 40 फीसदी के पास 23 फीसदी और सबसे गरीब 50 फीसदी के पास सिर्फ 2 फीसदी लोग इस केटेगरी में आते हैं। 2025 में, सबसे अमीर 10 फीसदी को वैश्विक आय का 53 फीसदी हिस्सा मिला, जबकि गरीब आधी आबादी को महज 8 फीसदी। 1820 में यह हिस्सा 14 फीसदी था, जो अब आधा से भी कम हो गया।

क्यों बढ़ रही है यह खाई?

वैश्विक असमानता का यह चरम स्तर 1990 के दशक से तेजी से बढ़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, कैपिटलिस्ट सिस्टम में टैक्स ब्रेक, कॉर्पोरेट मुनाफे का असमान बंटवारा और निवेश की तेज रफ्तार अल्ट्रा-रिच को फायदा पहुंचा रही है। भारत: टॉप 10 फीसदी की आय हिस्सेदारी 57.7 फीसदी, जो दुनिया में सबसे ऊंची है। रिपोर्ट में कहा गया है कि असमानता लंबे समय से वैश्विक अर्थव्यवस्था की विशेषता रही है, लेकिन 2025 तक यह स्तर पहुंच गया है जहां तत्काल कार्रवाई जरूरी हो गई है। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि यह असमानता न सिर्फ आर्थिक, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय संकट पैदा कर रही है – जैसे जलवायु परिवर्तन का बोझ गरीबों पर ज्यादा पड़ना।

Leave a comment