ब्रिटेन झेल रहा है आर्थिक मंदी की मार, सुनक सरकार ने लिए कड़े फैसले

ब्रिटेन झेल रहा है आर्थिक मंदी की मार, सुनक सरकार ने लिए कड़े फैसले

नई दिल्ली: ब्रिटेन आर्थिक मंदी का काफी ज्यादा असर देखा जा रहा है। साथ ही देश की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। वहीं सरकार ने इसको लेकर चिंता भी व्यक्त की हैं। वहीं ऋषि सुनक सरकार देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कड़े कदम उठा रही है।  

प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार ने  मंदी पर काबू पाने के लिए 5500 करोड़ पाउंड का फिस्कल प्लेन पेश किया है। बीते दिनों वित्त मंत्री जेरमी हंट ने सरकार के इमरजेंसी बजट का खुलासा किया, जिसमें टैक्स की दरों में बड़ी बढ़ोतरी की गई है।

टैक्स की दरों में किया गया इजाफा

बता दें, सरकार ने आर्थिक मंदी को लेकर टैक्स की दरों में इजाफा किया है जिसके बाद अब एनर्जी कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स को 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दिया गया है। इलेक्ट्रिक जेनरेटर पर 45 फीसदी का टेंपरेरी टैक्स लगाया गया है। साथ ही टैक्स कटोती के दायरे में अब सवा लाख पाउंड सालाना कमाने वाले लोगों पर भी शामिल किए गए है। सुनक की सरकार ने ऐलान किया है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 2025 से एक्साइज ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी।

वहीं बजट के साथ स्वतंत्र इकाईयों ओबीआर की एक रिपोर्ट भी जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि रूस-यूक्रेन के बीच जंग की वजह से एनर्जी की कीमतों में जोरदार इजाफा हुआ है। इस वजह से ब्रिटेन की इकोनॉमी को काफी नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 तक अर्थव्यवस्था में सुधार की कोई संभावना नजर नहीं आती है।

महंगाई का टुटा रिकोर्ड

ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरमी हंट ने कहा कि पूरी दुनिया एनर्जी और महंगाई का संकट झेल रही है। जिस कारण देश में अस्थिरता, विकास और पब्लिक सर्विस में मुश्किलें आ सकती है। ऐसे में हम प्लान के साथ चले तो मंदी का सामना कर सकेंगे। वहीं देश की महंगाई दर ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। ब्रिटेन में महंगाई दर 41 साल के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए अक्टूबर महीने में 11.1 फीसदी पर पहुंच गई है। साल 1981 के बाद से ये सबसे अधिक महंगाई दर है। सितंबर के महीने में महंगाई दर 10.1 फीसदी रही थी।

क्या मतलब होता है आर्थिक मंदी का

अगर किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी (GDP) में लगातार छह महीने (2 तिमाही) तक गिरावट आती है, तो इस दौर को इकोनॉमी में आर्थिक मंदी कहा जाता है। आमतौर पर मंदी के दौरान, कंपनियां कम पैसा कमाती हैं, वेतन में कौटती होती है और बेरोजगारी बढ़ जाती है। इसका मतलब ये है कि सरकार को सार्वजनिक सेवाओं पर इस्तेमाल करने के लिए टैक्स के रूप में कम पैसा मिलेगा।

 

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