
ढाका: बांग्लादेश और सीमावर्ती भारतीय राज्यों मेघालय और असम में मानसूनी बारिश मुसीबत बनकर आई है। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी कि, बांग्लादेश में मानसूनी तूफान ने कम से कम 25 लोगों की जान ले ली और विनाशकारी बाढ़ आई जिससे 40 लाख से अधिक लोग फंसे हुए हैं। बांग्लादेश के निचले इलाकों में लाखों लोगों के लिए बाढ़ एक नियमित खतरा रहता है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु संकट उनकी आवृत्ति, उग्रता और अप्रत्याशितता को बढ़ा रहा है।
बांग्लादेश में आलम यह हो गया है कि अधिकारियों को बचाव और राहत कार्यों में मदद के लिए सेना बुलानी पड़ी है। अधिकारियों का अनुमान है कि साठ लाख लोग अपने लगभग जलमग्न घरों में फंसे हुए हैं। वे अब कहीं और अस्थायी रूप से शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं। गौरतलब है कि पूर्वोत्तर और उत्तरी क्षेत्रों में नदियों में जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी केंद्र (FFWC) के प्रवक्ता ने कहा कि देश की चार प्रमुख नदी घाटियों में से दो में पानी अब खतरे के निशान से काफी ऊपर पहुंच गया है।
उन्होंने बताया कि मरने वालों की संख्या का कोई आधिकारिक डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन अनौपचारिक रिपोर्टों से पता चलता है कि देश में बाढ़ में कम से कम 25 लोग मारे गए हैं। असम में बाढ़ के कारण सड़कें और काफी घर बह गए। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया, कुछ दिन से हो रही बारिश के कारण ज्यादातर नदियों का पानी खतरे के निशान से ऊपर है। खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो गई है। बांग्लादेश में सिलहट क्षेत्र के मुख्य प्रशासक मोहम्मद मुशर्रफ हुसैन ने बताया, लगातार बारिश के कारण हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पिछले कुछ साल में भारत और बांग्लादेश में बाढ़ की समस्या विकराल होती जा रही है। इससे बड़े पैमाने पर नुकसान होता है। पर्यावरणविद् इसका कारण जलवायु परिवर्तन को बताते हुए संकट बढ़ने की चेतावनी दे रहे हैं। दक्षिणपूर्वी चित्तगोंग जिले में शनिवार सुबह भूस्खलन के कारण घर गिरने से चार लोगों की मौत हो गई और तीन घायल हुए।
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