
नई दिल्ली: वायु प्रदूषण के चलते पूरी दुनिया में हर साल लाखो लोग जान गंवाते देते हैं। यह युद्ध, एचआईवी और धूम्रपान से भी ज्यादा है। उम्र प्रत्याशा में भी औसतन तीन साल कमी आई है। दुनिया भर में वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने डराने वाली रिपोर्ट जारी की है। दरअसल इस रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण से दुनिया भर में हर मिनट 13 लोगों की मौत हो रही है।
स्कॉटलैंड के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) की अगुवाई में शुरू की गई बैठक में WHO ने अपनी विशेष रिपोर्ट जारी करते हुए चेतावनी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि अगर आने वाले समय में लोग नहीं संभले तो गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। जर्मनी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि वायु प्रदूषण पूरी दुनिया में महामारी का रूप ले चुका है। अध्ययन में बताया गया है कि प्रदूषण से जहरीली हो रही हवा में सांस लेने से लोगों की कम उम्र में ही मौत हो रही है। हालात इतने खराब हैं कि भारत और जापान सहित पूर्वी एशिया में लोगों की उम्र प्रत्याशा करीब चार साल कम हो गई है। वहीं, यूरोपीय देशों में वायु प्रदूषण के चलते लोगों की औसत उम्र में करीब 2.2 साल की कमी आई है।
कुल मिलाकर, वैश्विक स्तर पर समय से पहले होने वाली छह मौतों में से एक मौत प्रदूषण के कारण हुई, जो 2019 के पिछले आंकलन में कोई सुधार नहीं है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अफ्रीका में बड़े सुधारों के साथ, इनडोर वायु प्रदूषण, प्रदूषित पेयजल और अपर्याप्त सफाई से जुड़ी मृत्यु दर में कमी आई है। लेकिन खासकर दक्षिणी और पूर्वी एशिया में औद्योगीकरण से जुड़े बाहरी वायु और रासायनिक प्रदूषण बढ़ रहे हैं।
इंडियन काउंसिल फार मेडिकल रिसर्च ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि भारत में साल 2019 में 16.7 लाख लोगों की मौत के लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि घरेलू वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों में 1990 से 2019 तक 64 फीसद की कमी आई है, लेकिन इसी बीच हवा में मौजूद प्रदूषण की वजह से होने वाली मौतों में 115 फीसद का इजाफा हुआ है।
वायु प्रदूषण फेंफड़ों से जुड़ी बीमारियों के चालीस फीसद मामलों के लिए जिम्मेदार है। वहीं, इस्केमिक हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, डायबिटीज और समय से पहले पैदा होने वाले नवजात बच्चों की मौत के लिए वायु प्रदूषण 60 फीसद तक जिम्मेदार है। इस रिपोर्ट में यह कहा गया है कि अगर समय रहते हम नहीं चेते तो वायु प्रदूषण से होने वाली मौतें, बीमारियां और आर्थिक नुकसान की वजह से भारत का साल 2024 तक पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना टूट सकता है।
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