BSNL व MTNL की संपत्ति मौद्रिकरण योजना नियम बिगाड़ सकते है

BSNL व MTNL की संपत्ति मौद्रिकरण योजना नियम बिगाड़ सकते है

सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल व एमटीएनएल अपनी जमीन आदि बेचकर कुछ धन जुटाना चाहती हैं लेकिन इस प्रयास में तय नियम कायदे आड़े आ सकते हैं। धन की तंगी से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की ये कंपनियां अपनी रीयल्टी आस्तियों के मौद्रिकरण का प्रयास कर रही हैं, इस बीच दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कल यहां कहा कि जमीन का इस्तेमाल दूरसंचार बुनियादी ढांचे के लिए ही करने का नियम इसमें बाधा बन सकता है। उन्होंने यहां एमटीएनएल के टेक्नोलाजी सेंटर में कहा, यह जमीन विशेष रूप से दूरसंचार बुनियादी ढांचे के लिये आंवटित की गई थी इस तथ्य को देखते हुये हमारी भी कुछ सीमाएं हैं। हम क्या कर सकते हैं।

प्रसाद ने कहा कि इस तरह की योजनाएं सुचारू रूप से सिरे चढें इसके लिए कुछ स्थानीय मदद चाहिए होगी। उन्होंने भाजपा के स्थानीय सांसद किरीट सोमैया की ओर संकेत किया, जो कि इस काम में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एमटीएनएल व बीएसएनएल की अतिरिक्त पड़ी जमीन को इस्तेमाल का किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है इसके लिये एक विभागीय समिति गठित की गई है। प्रसाद ने कहा, मैं चाहता हूं कि एमटीएनएल का राजस्व न केवल दूरसंचार कार्यों और उपभोक्ता आधार के क्षेत्र में ही बढ़े बल्कि संसाधनों का सबसे बेहतर ढंग से इस्तेमाल करके भी राजस्व बढ़ना चाहिये। उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने इन कंपनियों के निदेशक मंडल को सही निर्णय लेने के लिये अधिकार दिये हैं। 

प्रसाद ने एमटीएनएल की मौजूदा स्थिति के लिये पिछली संप्रग सरकार पर हमला करते हुये कहा कि एक दशक पहले जब वाजपेयी सरकार सत्ता से हटी थी तब एमटीएनएल ने 10,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था लेकिन संप्रग सरकार के 10 साल के शासनकाल में कंपनी 8,000 करोड़ रुपये के घाटे में आ गई।  उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रम के समक्ष कुछ चुनौतियां हैं लेकिन वह चाहेंगे कि इसमें सुधार आये। 

 

Leave a comment