डूबा कर्ज बढ़ने से बैंक ऑफ इंडिया को चौथी तिमाही में 3,587 करोड़ रुपये का हुआ घाटा

डूबा कर्ज बढ़ने से बैंक ऑफ इंडिया को चौथी तिमाही में 3,587 करोड़ रुपये का हुआ घाटा

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) का 31 मार्च को समाप्त चौथी तिमाही का शुद्ध नुकसान कई गुना बढ़कर 3,587 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। डूबा कर्ज बढ़ने से बैंक का घाटा भी बढ़ा है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक को 56.14 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। तिमाही के दौरान बीओआई की कुल आय 12,286.98 करोड़ रुपये से घटकर 11,384.91 करोड़ रुपये पर आ गई। मार्च, 2016 के अंत तक बैंक की सकल गैर निष्पादित आस्तियां या डूबा कर्ज दोगुना से अधिक होकर 49,879.13 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह सकल ऋण का 13.07 प्रतिशत है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक का एनपीए 22,193.24 करोड़ रुपये या सकल ऋण का 5.39 प्रतिशत था। समीक्षाधीन तिमाही में बैंक का शुद्ध एनपीए 27,776.40 करोड़ रुपये या शुद्ध ऋण का 7.79 प्रतिशत रहा। जो एक साल पहले समान तिमाही में 13,517.57 करोड़ रुपये या 3.36 प्रतिशत था।

रिजर्व बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा (एक्यूआर) दिशानिर्देशों के अनुसार बीओआई ने डूबे कर्ज तथा अन्य आकस्मिक खर्चों के लिए अपना प्रावधान तिमाही के दौरान बढ़ाकर 5,470.36 करोड़ रुपये कर दिया है, जो एक साल पहले समान तिमाही में 2,255.49 करोड़ रुपये था। दस प्रतिशत से अधिक एनपीए की वजह से रिजर्व बैंक को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई के लिए कदम उठाना पड़ सकता है। पूरे वित्त वर्ष 2015-16 में बैंक का शुद्ध घाटा 6,089 करोड़ रुपये रहा है जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में बैंक ने 1,708.92 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। वित्त वर्ष के लिए बैंक ने कोई लाभांश घोषित नहीं किया है। वित्त वर्ष के दौरान बैंक की कुल आय घटकर 45,449.01 करोड़ रुपये पर आ गई जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 47,662.61 करोड़ रुपये रही थी।

 

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