बैंकों की मजबूती, सरकार की नीति, वैश्विक आकार के कुछ बैंक होने ही चाहिये: जेटली

बैंकों की मजबूती, सरकार की नीति, वैश्विक आकार के कुछ बैंक होने ही चाहिये: जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज यहां कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक की ओर से अपने पांच सहायक बैंकों का अपने साथ विलय और भारतीय महिला बैंक का अधिग्रहण करने का प्रस्ताव बैंकों को सुदृढीकरण करने की सरकार की नति के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि देश में कुछ संस्थान वैश्विक आकार के हों। जेटली ने कहा, सुदृढीकरण इंद्रधनुष पैकेज का हिस्सा है। सुदृढीकरण के बारे में मैंने बजट में घोषणा की है। इसलिये बैंक ने इस दिशा में कदम उठाया। यह सरकार की नीति के अनुरूप है। भारतीय स्टेट बैंक ने कल अपने पांच सहयोगी बैंकों का अपने साथ विलय का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। तीन साल पुराने भारतीय महिला बैंक के अधिग्रहण का भी प्रस्ताव किया है। बैंक ने इसके लिये केन्द्र से मंजूरी मांगी है।

जेटली ने कहा, प्रस्ताव सरकार के पास आने दीजिये। मैं पहले ही बजट में सुदृढीकरण के बारे में कह चुका हूं। इसलिये मेरा मानना है कि आज यह बड़ा सवाल है कि भारत को सार्वजनिक क्षेत्र में इतने सारे बैंकों की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, इसलिये कर्मचारियों के कामकाज पर बिना किसी प्रतिकूल प्रभाव के बड़े वैश्विक आकार के संस्थानों को खड़ा होने दीजिये और यदि प्रस्ताव हमारे समक्ष आता है तो हम उसे देखेंगे और मैं इसे सकारात्मक नजरिये से देखूंगा। जेटली ने कहा कि कुछ के एकीकरण से सुदृढीकरण कर देश में बैंकों की संख्या कम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बैंकों के अपने विचार है, यदि कुछ बैंकों के विपरीत विचार हैं तो सरकार उसका सम्मान करती है, उसे देखेगी और उस पर विचार करेगी। स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य के अनुसार विलय के बाद बैंक का कुल कारोबार मौजूदा 28 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 37 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। जिन पांच बैंकों के विलय की बात प्रस्ताव में कही गई है उनमें स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद शामिल हैं। इनमें से स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और स्टेट बैंक ऑफ त्रावाणकोर शेयर बाजारों में सूचीबद्ध हैं।

यह पूछे जाने पर कि क्या कुछ और बैंकों से इस प्रकार का प्रस्ताव मिल सकता है? जेटली ने कहा सबसे पहली प्राथमिकता दबाव की स्थिति और उनके आर्थिक हालात में सुधार लाना है। सार्वजनिक उपक्रमों में रणनीतिक बिक्री के बारे में सरकार की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में नीति आयोग से सुझाव की प्रतीक्षा है। उन्होंने कहा, विनिवेश संभावनाओं पर आधारित कला है। यह ऐसा नहीं है कि आपने तय किया और कर दिया। आपने विनिवेश का फैसला किया और निजीकरण कर दिया। हो सकता है बाजार की स्थिति उपयुक्त नहीं हो। सरकार द्वारा नीति का दायरा बढ़ाने पर पहली बार बोलते हुये वित्त मंत्री ने उपलब्ध साधनों की तरफ इशारा करते हुये कहा कि इसमें विनिवेश, रणनीतिक बिक्री, निजीकरण, संपत्तियों की वापस खरीद कई रास्ते हो सकते हैं। 

ऐसे में पहले की नीति के उपर हमने सुधार किया है। ये सारे विकल्प सरकार के समक्ष खुले हैं। इसलिये अब हमारे सामने लचीलापन है। एक बार नीति आयोग हमें रिपोर्ट सौंप दे, हम इसे करेंगे। सरकार पहले की राजग सरकार के समय होटलों में हिस्सेदारी बिक्री के अधूरे छूटे एजेंडा पर काम कर रही है। फिलहाल मैं यही कह सकता हूं कि कुछ होटलों का विनिवेश कार्यक्रम पिछले राजग सरकार के समय छूट गया था, संबंधित मंत्रालय अब इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

 

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