
वित्त वर्ष 2016 की चौथी तिमाही में देना बैंक को 326 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इसके बारे में जानकारी देते हुए देना बैंक के CMD अश्वनी कुमार ने कहा कि प्रोविजनिंग बढ़ने के कारण घाटा हो रहा है, लेकिन तिमाही घाटे में कमी आई है। घाटे का एक कारण नया NPA भी है। नया NPA जुड़ने से भी घाटा हुआ है। हालांकि, आगे NPA को लेकर ज्यादा दबाव नहीं देखने को मिलेगा। लेकिन आगे प्रोविजनिंग ज्यादा रहने से मुनाफे पर दबाव बरकरार रह सकता है। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2016 की चौथी तिमाही में देना बैंक का नेट NPA 1 फीसदी बढ़कर 5,230.5 करोड़ रुपए रहा है। वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही में देना बैंक का नेट NPA 5,176.30 करोड़ रुपए रहा था। अगर देना बैंक के घाटे की बात की जाए तो इस वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में देना बैंक को 326 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।
वहीं पिछले वर्ष वित्त वर्ष 2015 की चौथी तिमाही में देना बैंक को 55.82 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ था। वित्त वर्ष 2016 की चौथी तिमाही में देना बैंक का ग्रॉस NPA 8.1 फीसदी बढ़कर 8,560.5 करोड़ रुपए रहा। वित्त वर्ष 2016 की तीसरी तिमाही में देना बैंक का ग्रॉस NPA 7,916.5 करोड़ रुपए रहा था। तिमाही दर तिमाही आधार पर चौथी तिमाही में देना बैंक का ग्रॉस NPA 9.85 फीसदी से बढ़कर 9.98 फीसदी हो गया है। वहीं नेट NPA तिमाही आधार पर 6.68 फीसदी से घटकर 6.35 फीसदी हो गया है।
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