
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि संसद के मानसून सत्र में यदि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक पर मतदान हुआ तो यह पारित हो जाएगा क्योंकि अधिकतर दल यहा तक कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी इसके पक्ष में हैं। जेटली ने इंडियन वीमिन प्रेस कोर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जीएसटी की परिकल्पना कांग्रेस की ही है। उन्होंने कहा, मैं सर्वसम्मति का हिमायती हूं। मुझे उम्मीद है कि हम उस दिशा में बढ़ेंगे। लेकिन, यदि सर्वसम्मति नहीं बन पाई तो मैं संसदीय प्रक्रिया का सहारा लूंगा।
जेटली ने कहा कि कांग्रेस एक प्रतिशत अतिरिक्त कर प्रावधान के खिलाफ है। साथ ही वह कर की दर का संवैधानिक दस्तावेज में उल्लेख करने की माँग कर रही है। साथ ही वह राज्यों के बीच विवाद की स्थिति में समाधान के लिए स्वतंत्र शिकायत निवारण प्रणाली भी चाहती है। सरकार एक प्रतिशत अतिरिक्त कर का प्रावधान समाप्त करने पर सहमत हो गई है, लेकिन वह अन्य दो माँगें मानने को तैयार नहीं है। जेटली ने कहा कि वह अन्य दो मांगों के बारे में अपनी राय राज्यसभा में स्पष्ट कर चुके हैं और इसके मद्देनजर काँग्रेस को अपनी माँगों पर पुनर्विचार करना चाहिये। उन्होंने कहा कि अन्नाद्रमुक को छोड़कर सभी क्षेत्रीय दल इस विधेयक के पक्ष में हैं क्योंकि इससे उनके राज्य का फायदा होगा। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के सहयोगी भी विधेयक के समर्थन में हैं। मुझे विश्वास है कि जब अंतिम निर्णय की घड़ी आएगी तो कांग्रेस के लिए भी इस विधेयक का विरोध करना अत्यंत कठिन होगा और मेरा यह विश्वास अकारण नहीं है। जीएसटी विधेयक लोकसभा से पिछले साल ही पारित हो चुका है। लेकिन, राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त बहुमत नहीं होने और कांग्रेस के विरोध के कारण यह अटका पड़ा है। यदि सरकार मार्च 2017 से जीएसटी लागू करना चाहती है तो उसके लिए मानसून सत्र में विधेयक पारित करना जरूरी है क्योंकि इसके पारित होने के बाद भी इसे कानून का रूप देने में कई विधायी प्रक्रियाएं हैं जिनमें समय लगेगा।
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