
Baloch Movement: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पिछले एक हफ्ते से बलूच आंदोलन चल रहा है। बलूचिस्तान में सुरक्षा बलों द्वारा युवाओं की अवैध हत्याओं और फर्जी मुठभेड़ों के खिलाफ यह आंदोलन जारी है। इसके तहत हजारों महिलाओं और बच्चों समेत बलूच नागरिक इस्लामाबाद के चारों ओर बैठे हुए हैं। सर्द रातों में भी महिलाएं डटकर इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं। इतना ही नहीं, पाकिस्तान सरकार भी इस आंदोलन से परेशान है और कार्यवाहक पीएम अनवारुल हक कक्कड़ ने इन लोगों को भारत के इशारे पर काम करने वाला करार दिया है।
हाल ही में कक्कड़ ने इस आंदोलन को देश को बांटने की साजिश करार दिया था और बांग्लादेश के गठन का भी जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि इन लोगों को याद रखना चाहिए कि यह न तो 1971 है और न ही यह उस समय का पाकिस्तान है। इस बीच, आंदोलन के नेता डॉ मेहरंग बलूच ने संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों के बाहर धरना देने की घोषणा की है। इस मामले में मंगलवार को इस्लामाबाद बंद भी बुलाया गया था। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि हमारे प्रदर्शन स्थल के पास बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद है। हमने उनसे सुरक्षा नहीं मांगी थी, लेकिन हमें डराने के लिए बड़ी संख्या में फोर्स तैनात की गई है।' आइए जानते हैं कौन हैं मेहरंग बलूच।।।
कौन हैं मेहरंग बलूच?
भले ही मेहरंग बलूच केवल 30 साल की हैं, लेकिन बलूचों के बीच उनकी बहुत बड़ी फैन फॉलोइंग है। इसकी वजह यह है कि वह अक्सर बलूचों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचार का मुद्दा उठाती रहती हैं। 1993 में एक बलूच परिवार में जन्मे मेहरंग ने एमबीबीएस की पढ़ाई की है। उनके पिता अब्दुल गफ्फार एक मजदूर थे और परिवार क्वेटा में रहता था।लेकिन उनके इलाज के चलते परिवार कराची में आकर बस गया। उनके पिता भी बलूचिस्तान में सेना उत्पीड़न का शिकार हो चुके हैं। 12 दिसंबर 2009 को उनका अपहरण कर लिया गया था। उस दौरान वह अस्पताल जा रहे थे।
मेहरंग के पिता की कर दी गई हत्या
मेहरंग केवल 16 साल की थीं जब उनके पिता का अपहरण कर लिया गया था, लेकिन उन्होंने आंदोलन करना शुरू कर दिया। अपने पिता के दर्द में सड़कों पर उतरने वाली मेहरंग अब बलूचिस्तान में विरोध का चेहरा हैं। इसके लिए वह आम युवाओं के लिए एक उम्मीद बन गई हैं। उनके पिता अपहरण के दो साल बाद जुलाई 2011 में मृत पाए गए थे। शव की जांच से पता चला कि उसे प्रताड़ित भी किया गया था। इतना ही नहीं दिसंबर 2017 में उनके भाई का भी अपहरण कर लिया गया और फिर तीन महीने तक हिरासत में रखा गया।
अब 1600 किलोमीटर का मार्च लेकर इस्लामाबाद पहुंचीं, डर गए काकर
मेहरंग बलूच ने बलूचिस्तान के ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए आरक्षण में कटौती के खिलाफ भी आंदोलन किया था। फिलहाल वह अपने राज्य में पीड़ितों के लिए उम्मीद से भरा चेहरा हैं। उनके नेतृत्व में मार्च बलूचिस्तान से 1600 किलोमीटर का सफर तय कर इस्लामाबाद पहुंचा। महिलाओं के लिए कट्टरपंथी समाज में उनका आगे आना एक बड़ी उम्मीद की तरह है। यही वजह है कि उनसे प्रेरणा लेकर हजारों बलूच महिलाएं भी सड़कों पर उतर आई हैं। इतना ही नहीं ये लोग सैकड़ों ट्रकों में सारा सामान लेकर पहुंचे हैं
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