
former president donald trump:अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मुश्किलों में फंस गए है, हालांकि अब तक आई खबरों से लग रहा है कि अभी डोनाल्ड ट्रंप राहत है, लेकिन आने वाले दिनों में वो मुश्किलों में फंस सकते है। दरअसल पोर्न फिल्म स्टार को सीक्रेट पेमेंट देने के मामले में डोनाल्ड ट्रंप को मैनहट्टन कोर्ट में कल पेश किया गया। जहां दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद डोनाल्ड ट्रंपको हिरासत से रिहा कर दिया है। अब अगली सुनवाई 4 दिसंबर को होंगी।
जानकारी के अनुसार, सुनवाई के दौरान कोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने अपने आप को बेकसूर बताया और लगे सभी 34 मामलों में खुद को Not Guilty करार दिया, वहीं कोर्ट ने कहा कि अगले साल जनवरी से ट्रंप का ट्रायल शुरू किया जा सकता है। फिलहाल ट्रंप को हिरासत से रिहा कर दिया है। हालांकि सुनवाई के दौरान ट्रंप पर जज को राज को छिपाने के लिए $130,000 का अवैध तरीके से भुगतान करने के भी आरोप लगे।
ट्रंप पर 19 और चल रहे केस
दरअसल यह पहला मामला है जो किसी राष्ट्रपति के ऊपर ऐसा केस लगा है और उनकी कोर्ट में पेशी हुई। ट्रंप पर इस मामले के अलावा और भी कई मामले पहले भी लग चुके है। ट्रंप पर 19 केस और चल रहे हैं। इनमें से आधे मामलों में उन पर राष्ट्रपति रहते हुए गलत आचरण के आरोप हैं। ट्रम्प पर चल रहे ज्यादातर केस 3 मामलों से जुड़े हुए हैं। पहला वित्तीय गड़बड़ी जिससे उन्होंने ज्यादा पैसे कमाए। दूसरा 6 जनवरी 2021 को संसद में हुई हिंसा में ट्रम्प की भूमिका। तीसरा केस है 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में दखलअंदाजी की कोशिश।
इस सभी मामलों को पूर्व राष्ट्रपति ने खारिज किया है। कुछ मामलों को बंद करने के लिए ट्रम्प ने याचिका भी लगा रखी है और कुछ में उन्होंने काउंटर केस दायर किया है। डोनाल्ड ट्रम्प और पॉर्न स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स की मुलाकात पहली बार 2006 में एक गोल्फ टूर्नामेंट के दौरान हुई थी। तब ट्रम्प एक रियल एस्टेट कारोबारी थे। स्टॉर्मी ने अपनी किताब फुल डिस्क्लोजर में इस मुलाकात का जिक्र किया है। अपनी किताब में स्टॉर्मी ने बताया कि ट्रम्प ने उन्हें पेंटहाउस में डिनर के लिए बुलाया था। किताब में उन्होंने ट्रम्प के साथ बने संबंधों और उनकी शारीरिक बनावट का भी जिक्र किया था। इसके बाद दोनों के बीच अफेयर शुरू हो गया था।
ट्रंप के वकीन ने किया था खुलासा
वहीं 2016 में राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले ट्रम्प ने स्टॉर्मी को चुप रहने के लिए पैसे दिए थे। इतना ही नहीं ट्रम्प के वकील माइकल कोहेन ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि उसने ट्रम्प की तरफ से पॉर्न स्टार को 1 लाख 30 हजार डॉलर (करीब 1 करोड़ 7 लाख रुपए) दिए थे। इस पेमेंट का खुलासा जनवरी 2018 में वॉलस्ट्रीट जर्नल ने किया था। इसी के आधार पर ट्रम्प के खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने का फैसला किया गया और कोर्ट में उन पर 34 आरोप लगाए गए।
समर्थकों को भड़काने का लगा था आरोप
3 नवंबर 2020 को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग में बाइडेन को 306 और ट्रम्प को 232 इलेक्टोरल वोट मिले। नतीजे सामने आते ही ट्रम्प और उनके समर्थकों ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए।
वोटिंग के 64 दिन बाद जब अमेरिकी संसद बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने में जुटी तो ट्रम्प के समर्थक संसद में घुस गए। वहां तोड़फोड़ और हिंसा की। इसमें एक पुलिस अफसर समेत 5 लोगों की मौत हो गई थी। हिंसा के बाद ट्रम्प पर अपने समर्थकों को भड़काने का आरोप लगा था।
ट्रम्प की पार्टी के ही सीनेटर मिट रोमनी ने कहा था- मैं शर्मिंदा हूं कि हमारे राष्ट्रपति ने दंगाइयों को संसद में घुसने के लिए भड़काया। लोकतंत्र में जीत और हार को स्वीकारने की हिम्मत होनी चाहिए।18 महीने तक मामले की जांच चली। पिछले साल दिसंबर में जांच कमेटी ने एक 845 पेज की रिपोर्ट तैयार की। इसमें ट्रम्प को दोषी ठहराया गया। उनके खिलाफ क्रिमिनल केस चलाने की सिफारिश की गई। इसके लिए 1000 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए थे।
रिपोर्ट में ट्रंप पर लगे थे आरोप
एक रिपोर्ट मुताबिक, जांच कमेटी ने ट्रम्प पर राष्ट्रपति चुनाव में हार के फैसले को पलटने, विद्रोह भड़काने, आधिकारिक कार्रवाई में बाधा डालने, साजिश रचने, झूठे बयान देने और देश को धोखा देने के आरोप लगाए। इसके बाद कमेटी ने मामले को जस्टिस डिपार्टमेंट को रेफर कर दिया। इस केस में अब ग्रैंड ज्यूरी के सामने ट्रम्प के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रहे माइक पेंस और व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ रहे मार्क मीडोज के बयान दर्ज किए जाएंगे।
कई क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स साथ ले जाने का लगा था आरोप
राष्ट्रपति चुनाव में हार के बाद जब ट्रम्प ने व्हाइट हाउस छोड़ा, तब उन पर आरोप लगे कि वो कई क्लासिफाइड डॉक्यूमेंट्स अपने साथ ले गए। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, नेशनल आर्काइव्स ने कई बार डॉक्यूमेंट्स मांगे लेकिन ट्रम्प ने इसे अनदेखा कर दिया। इसके बाद अगस्त में FBI ने ट्रम्प के फ्लोरिडा स्थित रिजॉर्ट मार-ए-लागो और पाम हाउस पर छापा मारा। रॉयटर्स के मुताबिक, सर्चिंग के दौरान 13 हजार दस्तावेज जब्त किए गए जिनमें से 100 पर क्लासिफाइड लिखा हुआ था।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, FBI के छापे के लिए जो वारंट इस्तेमाल किए गए उनमें 3 क्रिमिनल लॉ से संबंधित थे। इनमें जासूस करने (राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज को बिना इजाजत अपने पास रखने), सरकारी दस्तावेजों को छिपाने या नष्ट करने और कामकाज में दखल डालने का जिक्र था।
2020 में चुनाव के नतीजों को पलटने का लगा था आरोप
2020 में राष्ट्रपति चुनाव के बाद ट्रम्प पर नतीजों को पलटने की कोशिश करने के आरोप लगे थे। BBC के मुताबिक, 2 जनवरी 2021 को ट्रम्प और जॉर्जिया के इलेक्शन ऑफिसर ब्रैड रैफेंसपर्गर के बीच कॉल पर करीब एक घंटे बात हुई। व्हाइट हाउस के ऑफिस से यह कॉल 3 जनवरी दोपहर 2:41 पर की गई थी। ट्रम्प ने रैफेंसपर्गर से फोन पर कहा कि उन्हें वोटों की दोबारा गिनती करनी चाहिए, ताकि राज्य के 16 इलेक्टोरल वोट उनके हिस्से में आएं। कॉल रिकॉर्डिंग वॉशिंगटन पोस्ट ने सबसे पहले पब्लिश की थी। इसके मुताबिक, ट्रम्प ने कहा था कि मैं सिर्फ 11,780 वोट चाहता हूं। यह जीत के अंतर से एक वोट ज्यादा है। इस दौरान ट्रम्प ने रैफेंसपर्गर को बात नहीं मानने पर क्रिमिनल केस की धमकी भी दी थी।
पिछले साल एक स्पेशल ग्रैंड ज्यूरी ने कई महीनों तक इस मामले में 75 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। इसकी रिपोर्ट भी तैयार की जा चुकी है। हालांकि, इसमें किसे दोषी ठहराया गया है और उस पर कौन से आरोप लगे हैं इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ग्रैंड ज्यूरी की एक सदस्य एमिली कोहर्स ने कहा था कि इस मामले में 12 से ज्यादा लोगों पर क्रिमिनल केस दर्ज हुआ है।
पहले भी लग चुके है रेप के आरोप
मैगजीन राइटर ई. जीन कैरोल ने ट्रम्प पर 1995-96 में उनका रेप करने का आरोप लगाया था। कैरोल के मुताबिक, ट्रम्प ने न्यूयॉर्क डिपार्टमेंट स्टोर के ड्रेसिंग रूम में रेप किया। जब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की तो ट्रम्प ने उन्हें बदनाम किया। ट्रम्प ने कहा था कि कैरोल अपनी बुक की सेल बढ़ाने के लिए उन पर झूठे आरोप लगा रही हैं।
इसके बाद कैरोल ने ट्रम्प पर बैटरी और मानहानि का भी केस लगाया। पिछले साल सितंबर में, न्यूयॉर्क की एक अदालत ने फैसला सुनाया था कि जब ट्रम्प ने कैरोल के रेप के आरोपों को खारिज किया था तब वे एक फेडरल कर्मचारी थे। 25 अप्रैल को सुनवाई के दौरान वॉशिंगटन कोर्ट ये तय करेगी कि क्या ट्रम्प ने अपने पद के दायरे में रहते हुए कथित रूप से मानहानि से जुड़े बयान दिए थे।
न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल ने लगाए थे ये आरोप
न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल, लेटिटिया जेम्स ने ट्रम्प पर सितंबर के एक मुकदमे में आरोप लगाया कि उन्होंने धोखाधड़ी से अपनी संपत्ति को अरबों डॉलर से अधिक दिखाया और उधारदाताओं-बीमाकर्ताओं से झूठ बोला। रॉयटर्स के मुताबिक, जेम्स ने दावा किया था कि उनके ऑफिस को 2011 से 2021 के बीच ट्रम्प की संपत्ति के गलत मूल्यांकन के 200 से अधिक उदाहरण मिले।
लेटिटिया ने ट्रम्प के साथ उनके बच्चों डोनाल्ड जूनियर, एरिक और इवांका के लिए भी न्यूयॉर्क में बिजनेस करने पर रोक लगाने की मांग की है। साथ ही उन्होंने धोखाधड़ी के जरिए मिले कम से कम 250 मिलियन डॉलर (2 हजार 54 करोड़ रुपए) की वसूली की भी मांग की है।
जनवरी में, न्यूयॉर्क के एक जज ने ट्रम्प के खिलाफ अटॉर्नी जनरल के मुकदमे को खारिज करने से इनकार कर दिया था। मामले में सुनवाई के लिए अक्टूबर का महीना चुना गया था। अटॉर्नी जनरल जेम्स का केस सिविल है इसलिए ट्रम्प पर क्रिमिनिल चार्जेस नहीं लगाए जा सकते। जेम्स ट्रम्प के साथ समझौता करके फाइनेंशियल कॉम्पेंसेशन को आसान कर सकती हैं। हालांकि, अगर वो केस जीत जाती हैं तो कोर्ट ट्रम्प पर भारी जुर्माना लगा सकता है। इसके अलावा न्यूयॉर्क में उसके बिजनेस पर भी बैन लग सकता है।
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