इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को धरती पर क्रैश करवाएंगे एलन मस्क, क्या है फैसले के पीछे की वजह?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को धरती पर क्रैश करवाएंगे एलन मस्क, क्या है फैसले के पीछे की वजह?

International Space Station Deorbit: बाहरी अंतरिक्ष में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) 2030 तक काम करना बंद कर देगा। इसके बाद इसे डीऑर्बिट यान के जरिए वापस धरती पर लाया जाएगा। डीऑर्बिट यान को बनाने की जिम्मेदारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को सौंपी गई है। स्पेसएक्स को 843 मिलियन डॉलर (7,036 करोड़ रुपये) का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है। स्पेसएक्स का डीऑर्बिट वाहन ISSको खींचकर पृथ्वी पर लाएगा, और इसे प्रशांत महासागर में गिरा दिया जाएगा।

बता दें कि,भले ही स्पेसएक्स को ISSके लिए डीऑर्बिट वाहन बनाना है, लेकिन इसका स्वामित्व अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASAके पास ही रहेगा। NASAखुद डीऑर्बिटिंग मिशन की निगरानी करेगा। ISSदरअसल अमेरिका, जापान, यूरोप, रूस और कनाडा का संयुक्त प्रयास है। इसे नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था और अंतरिक्ष यात्री सन 2000 से यहां स्थायी रूप से मौजूद हैं। ISSपर अन्य देश 2030 तक काम करने वाले है, लेकिन रूस 2028 तक ही ISSपर मौजूद रहने वाला है।

पृथ्वी पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का क्या होगा?

109 मीटर चौड़ा अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन अंतरिक्ष में बनी सबसे बड़ी चीज़ है। इसका वजन 4,30,000 किलोग्राम है। ISSपहला अंतरिक्ष स्टेशन नहीं है जिसे डीऑर्बिट किया गया है। इससे पहले 'मीर' और 'स्काईलैब' नाम के अंतरिक्ष स्टेशनों को डीऑर्बिट किया जा चुका है। 'स्काईलैब' जुलाई 1979 में स्वचालित रूप से कक्षा से नीचे उतरने और वायुमंडल में जलने वाला पहला अमेरिकी अंतरिक्ष स्टेशन था। जबकि रूस का 'मीर' अंतरिक्ष स्टेशन मार्च 2001 में नष्ट हो गया था।

चूँकि, पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही दोनों अंतरिक्ष स्टेशन जलकर राख हो गये। इसलिए NASAके इंजीनियर ISSको लेकर भी ऐसा ही अनुमान लगा रहे हैं. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का अंत तीन चरणों में होगा। प्रारंभ में ISSके तापमान को बनाए रखने वाले सौर सरणी और रेडिएटर को अलग कर दिया जाएगा। फिर, अलग-अलग मॉड्यूल को ISSकी (रीढ़ की हड्डी)यानी 'ट्रस' से अलग किया जाएगा।

अतं में ट्रस और मॉड्यूल खुद ब खुद विघटित हो जायेंगे। ISSकी अधिकांश सामग्री जल जाएगा, लेकिन बड़े टुकड़ों के बचने की उम्मीद है। NASAइन टुकड़ों को प्रशांत महासागर में प्वाइंट निमो पर गिराने की सोच रहा है। यह दुनिया की सबसे दुर्गम जगहों में से एक है जहां कई उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों की कब्रगाह मौजूद है।

 

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