
Pakistan Election: 8 फरवरी को पाकिस्तान में आम चुनाव होने है। ऐसे में एक बार फिर पाकिस्तान में पर्दे के पीछे नई सरकार बनाने का खेल शुरू हो गया है और अब एक हाइब्रिड सरकार बनेगी। सामने एक सफेदपोश होगा, पीछे से सेना की ताकत होगी। महंगाई के बोझ से दबी जनता को नई सरकार से भी ज्यादा उम्मीद नहीं! वैसे, पाकिस्तानी सेना और ISIकी राजनीतिक सेल ने जनता के सामने वही विकल्प पेश किए हैं, जो वे पहले ही आज़मा चुके हैं। हर बार की तरह इस बार भी सेना चुनाव होने से पहले ही नतीजे तय करने में जुटी है।
सेना नेइमरान को लगाया ठिकाने
खान को तीन अलग-अलग मामलों में दोषी पाया जाना और फिर सजा सुनाई जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। सेना ने यह सुनिश्चित किया कि चुनाव से पहले खान की सजा की घोषणा की जाए। इससे PTIउम्मीदवारों, उनके समर्थकों और मतदाताओं को संदेश गया कि सेना उन्हें जेल में रखना चाहती है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट बैट को अपना चुनाव चिन्ह बनाए रखने की PTIकी अपील को भी खारिज कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब PTIके समर्थन से चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवार स्वतंत्र हो गए हैं। आपको बता दें कि इमरान को एक वर्गीकृत सिफर लीक करने के लिए 10 साल की कैद और सरकारी उपहारों को कम मूल्य पर रखने के लिए 14 साल की कैद की सजा सुनाई गई है।
इमरान के पक्ष में कोई देश क्यों नहीं उठा रहा आवाज?
इस पूरे घटनाक्रम में इमरान खान को अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी नहीं मिला। पाकिस्तान को प्रभावित करने वाले तीन अहम कलाकार- अमेरिका, चीन और सऊदी अरब इस मुद्दे पर एक साथ खड़े हैं। अमेरिका को वो दिन याद होगा जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था और इमरान मॉस्को में मौजूद थे। अफगानिस्तान से सेना की वापसी के वक्त भी इमरान अमेरिका पर जमकर बरसे थे। इमरान ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) अनुबंधों में चीनी कंपनियों पर पूर्व पीएम नवाज शरीफ और उनके भाई शहबाज शरीफ को रिश्वत देने का आरोप लगाकर भी चीन को नाराज कर दिया था।
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी उस समय नाराज हो गए जब खान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और पूर्व मलेशियाई प्रधान मंत्री महाथिर मोहम्मद के साथ मिलकर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के समानांतर एक और इस्लामिक समूह बनाने की कोशिश की। फिलहालOIC पर सऊदी अरब का दबदबा है।
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