Pakistan vs Taliban: 9 अक्टूबर को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल समेत अन्य इलाकों में हवाई हमले किए। दावा किया गया कि ये हमले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर किए गए थे। तालिबान सरकार की तरफ से अभी कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि तालिबान की हवाई सुरक्षा बेहद कमजोर है, इसलिए वह सीधे जवाब देने की स्थिति में नहीं है। अफगानिस्तान की मौजूदा सैन्य रैंकिंग ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में 118वीं है, और उनके पास पुराने जमाने के कुछ MiG-21 और Su-22 फाइटर बॉम्बर्स हैं, जो अब काम के लायक नहीं बचे।
तालिबान के पास नहीं है आधुनिक सुरक्षा कवच
तालिबान के पास न तो एडवांस्ड फाइटर जेट हैं और न ही मॉडर्न एयर डिफेंस सिस्टम। कुछ पुराने एंटी-एयरक्राफ्ट गन जैसे ZPU जरूर हैं, लेकिन ये आधुनिक फाइटर जेट्स या मिसाइल हमलों को रोकने में सक्षम नहीं। अमेरिका के छोड़े गए अरबों डॉलर के हथियारों में से बड़ी संख्या में अब या तो खराब हो चुके हैं या बागी गुटों को बेच दिए गए। हवाई रक्षा की कमी के चलते पाकिस्तान के जेट्स बिना किसी रुकावट के काबुल तक पहुंच पाए।
क्या भारत बन सकता है तालिबान की ढाल?
हालांकि भारत अभी तालिबान सरकार से दूरी बनाए हुए है, लेकिन अफगानिस्तान में स्थिरता भारत के हित में है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत तालिबान को S-400 या 'आकाश' जैसे एयर डिफेंस सिस्टम उपलब्ध कराए, तो पाकिस्तान के हमलों को रोकना संभव हो सकता है। इससे सिर्फ तालिबान की सुरक्षा नहीं बढ़ेगी, बल्कि पूरे क्षेत्र में शक्ति संतुलन भी बदलेगा। हालांकि भारत को यह कदम सोच-समझकर उठाना होगा, क्योंकि इससे कूटनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।
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