
FATF On Pahalgam Attack: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश झकझोर दिया। जिसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सुनाई दी। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। इसी बीच, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने 16 जून को इस हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा 'ऐसे सुनियोजित आतंकी हमले बिना आतंकी फंडिंग और मजबूत वित्तीय नेटवर्क के संभव नहीं हो सकते।' बता दें, FATF का यह बयान भारत के उस दावे को बल देता है, जिसमें उसने पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद और टेरर फंडिंग का जिम्मेदार ठहराया था।
FATF ने उठाए टेरर फंडिंग पर सवाल
FATF एख मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था है। जिसने 16 जून को पहलगाम हमले को लेकर एक बयान जारी किया। FATF ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की है। FATF ने सवाल उठाया 'यह हमले बिना धन और आतंकी समर्थकों से फंड ट्रांसफर के साधनों के संभव नहीं हो सकते।'
FATF का यह बयान इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि ये संस्था शायद ही कभी किसी विशिष्ट आतंकी हमले की निंदा करता है। इसी बीच, FATF ने यह भी संकेत दिया कि वह जल्द ही आतंकी वित्तपोषण पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगा। जिसमें पहलगाम जैसे हमलों के लिए फंडिंग के स्रोतों का विश्लेषण होगा।
FATF ने किया भारत के दावों को समर्थन
भारत काफी लंबे समय से दावा करता रहा है कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देता है और आतंकी संगठनों को वित्तीय और सैन्य समर्थन देता है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने FATF को सबूत भी सौंपे। जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ के पाकिस्तान से संचालित होने के प्रमाण शामिल थे। वहीं, FATF के बयान ने भारत के इस दावे को मजबूती दी कि 'पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद' एक वैश्विक खतरा है।
पाकिस्तान की ग्रे लिस्ट में वापसी?
दरअसल, FATF ने साल 2018 से 2022 तक पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में रखा था। जिसके कारण उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सहायता और निवेश में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। जिसके बाद साल 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर कथित सुधारों के बाद पाकिस्तान को इस सूची से हटा दिया गया था। लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत ने फिर से पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डालने की मांग तेज कर दी है।
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