भारत के ऑपरेशन सिंदूर से उड़ी लश्कर की नींद, मुरिदके से शिफ्ट होगा आतंकी मुख्यालय

भारत के ऑपरेशन सिंदूर से उड़ी लश्कर की नींद, मुरिदके से शिफ्ट होगा आतंकी मुख्यालय

LeT Headquater Shift: 22अप्रैल 2025को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान का आतंकी संगठन जिम्मेदार था। इस हमले के जवाब में भारत ने 07मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। जिनमें लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुरिदके स्थित मुख्यालय और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का बहावलपुर स्थित मुख्यालय शामिल थे। वहीं, अब सूत्रों की मानें तो लश्कर-ए-तैयबा अपने मुरिदके मुख्यालय को बहावलपुर स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है।

लश्कर का आतंकी गढ़ मुरिदके

मुरिदके पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लाहौर से लगभग 30किलोमीटर दूर स्थित है। जो लश्कर-ए-तैयबा का कुख्यात मुख्यालय मार्कज तैबा का केंद्र रहा है। 200एकड़ से अधिक के इस परिसर में प्रशिक्षण शिविर, स्कूल, मस्जिदें, चिकित्सा सुविधाएं और आवासीय क्वार्टर शामिल हैं। यह वही स्थान है जहां 2008के मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब और स्काउट डेविड हेडली को प्रशिक्षित किया गया था।

लेकिन ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने मार्कज तैबा पर लगभग चार मिसाइलों से हमला किया गए, जिससे परिसर को भारी नुकसान हुआ। इन हमलों में लश्कर के कई वरिष्ठ कमांडर, जैसे अबू जुंदाल उर्फ मुदस्सर, मारे गए, जिन्हें पाकिस्तानी सेना ने अंतिम संस्कार में गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जिससे आतंकी संगठनों और पाकिस्तानी सेना के बीच गठजोड़ का पर्दाफाश हुआ। 

मुरिदके मुख्यालय को बहावलपुर स्थानांतरित किया जाएगा

मिली जानकारी के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर-ए-तैयबा अपने मुरिदके मुख्यालय को बहावलपुर स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है। इसके पीछे भी कई कारण सामने आए है। जैसे मुरिदके का मार्कज तैबा भारत-पाकिस्तान सीमा से केवल 18-25किलोमीटर दूर है, जो इसे भारतीय हमलों के लिए आसान निशाना बनाता है।

इसके अलावा बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ रहा है। जो भारत-पाकिस्तान सीमा से लगभग 100 किलोमीटर दूर है, जिसे लश्कर अधिक सुरक्षित मान सकता है। वहीं, ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया कि मुरिदके और बहावलपुर जैसे आतंकी ठिकानों को पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी ISI का प्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त है।

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