
NB.1.8.1 Variant: दुनियाभर में कोविड-19के मामले एक बार फिर चर्चा में हैं। इसी बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक चेतावनी जारी की है। WHO ने कहा कि वैश्विक स्तर पर कोविड-19मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। जिसमें टेस्ट पॉजिटिविटी रेट 11%तक पहुंच गया है, जो जुलाई 2024के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। इस उछाल का प्रमुख कारण नया ओमिक्रॉन सबवैरिएंट NB.1.8.1है, जो तेजी से फैल रहा है और विश्व के कई हिस्सों में चिंता का विषय बन गया है।
NB.1.8.1वैरिएंट ने मचाई तबाही
NB.1.8.1, ओमिक्रॉन की JN.1 (ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट) है, जिसे पहली बार जनवरी 2025में चीन में पाया गया था। यह XDV.1.5.1रीकॉम्बिनेंट वैरिएंट से उत्पन्न हुआ है। जिसमें कई अन्य वैरिएंट्स के जेनेटिक मिश्रण शामिल हैं। मई 2025तक, यह वैरिएंट 22देशों में फैल चुका है। जिसमें चीन, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, और भारत शामिल हैं। भारत में, अप्रैल 2025में तमिलनाडु में NB.1.8.1का पहला मामला दर्ज किया गया था, और अब 20राज्यों में इसकी मौजूदगी की पुष्टि हुई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह उछाल JN.1 (ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट) और हाल ही में सामने आए NB.1.8.1और LF.7वैरिएंट्स के कारण है। ऐसे में WHO ने इन वैरिएंट्स को 'Variations Under Monitoring' की श्रेणी में रखा है।जिसका अर्थ है कि इसे प्राथमिकता के साथ निगरानी और अध्ययन की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर, अप्रैल के अंत तक NB.1.8.1कुल अनुक्रमित मामलों का 10.7%हिस्सा बन चुका था, जो चार सप्ताह पहले 2.5%था। विशेष रूप से, इस वैरिएंट का सबसे ज्यादा असर चीन में देखने को मिला। जहां इसने इमरजेंसी रूम में दाखिलों और अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में वृद्धि की हैॉ
वैरिएंट की विशेषताएं
NB.1.8.1में स्पाइक प्रोटीन में कई उत्परिवर्तन (म्यूटेशन्स) हैं। जिनमें T22N, F59S, G184S, A435S, V445H, और T478I शामिल हैं। यह मानव कोशिकाओं के ACE2रिसेप्टर्स से अधिक मजबूती से जुड़ने में सक्षम बनाते हैं। जिससे यह पहले के वैरिएंट्स की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकता है।
भारत में कोराना की स्थिति
भारत में NB.1.8.1और LF.7जैसे नए सबवैरिएंट्स के कारण कोविड-19मामलों में हल्की वृद्धि देखी जा रही है। दिल्ली में 24घंटों में 23नए मामले दर्ज किए गए। जिसके बाद अस्पतालों को बेड और ऑक्सीजन की आपूर्ति तैयार रखने की सलाह दी गई है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और INSACOG के अनुसार, ये वैरिएंट गंभीर बीमारी का कारण नहीं बन रहे हैं। लेकिन उनकी उच्च संक्रामकता के कारण सावधानी बरतने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन बुजुर्गों, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों, और पुरानी बीमारियों (जैसे मधुमेह, COPD) से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
सावधानियां बरतनी है जरूरी
1. भीड़भाड़ वाले स्थानों जैसे - अस्पताल, सार्वजनिक परिवहन, या बंद जगहों में मास्क जरूर पहनें।
2. नियमित रूप से साबुन से हाथ धोएं
3. बुखार, खांसी, गले में खराश, या थकान जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत टेस्ट कराएं।
4. बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें।
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