युद्ध के साये में मध्य पूर्व...ईरान के मिसाइल हमले पर इजरायल का पलटवार, क्या होगा ट्रंप का अगला कदम?

युद्ध के साये में मध्य पूर्व...ईरान के मिसाइल हमले पर इजरायल का पलटवार, क्या होगा ट्रंप का अगला कदम?

Iran-Israel Attack: पिछले कुछ दिनों से मध्य पूर्व के ईरान और इजरायल के बीच सैन्य टकराव की वजह से तनाव अपने चरम पर है। 13 जून को इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर किए गए बड़े पैमाने पर हवाई हमलों के बाद दोनों देशों के बीच सीधे तौप पर हमले शुरू हो गए हैं। इसी बीच, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने बुधवार को जंग का ऐलान कर दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा 'हैदर के नाम पर जंग शुरू होती है। हम आतंकी यहूदी शासन को कड़ा जवाब देंगे।' उनके इस पोस्ट के बाद ईरान ने इजराइल के कई शहरों पर 25 मिसाइलें दागीं। जवाबी हमले में इजरायल ने भी ताबड़तोड़ हमले किए। इसके बाद ईरान ने इजरायल की ओर फत्ताह मिसाइलें दागीं हैं। इस वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

ईरान का ऐलान-ऐ-जंग

ईरान ने अपनी फत्ताह हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जो उसकी सैन्य क्षमता का एक अहम हिस्सा हैं। IDF के अनुसार, ईरान के पास युद्ध की शुरुआत में लगभग 2,000 बैलिस्टिक मिसाइलें थीं, जिनमें से कई को इजरायल की वायु रक्षा प्रणालियों ने रोक लिया। फिर भी, कुछ मिसाइलें इजरायली शहरों में पहुंचीं और तबाही मचाई। जिसके चलते 16 इजरायलियों की मौत और 390 से अधिक लोग घायल हुए। दूसरी ओर, ईरान का दावा है कि इजरायली हमलों में 224 से अधिक लोग मारे गए और 480 से अधिक घायल हुए।

इजरायल ने ईरान के रक्षा मंत्रालय, शाहरान तेल डिपो और केरमानशाह में एक मिसाइल बेस को निशाना बनाया। ईरान ने जवाब में इजरायल के सैन्य ठिकानों के साथ-साथ नागरिक क्षेत्रों को भी निशाना बनाया, जिसे इजरायल ने 'नैतिक समानता की कमी' बताकर इसकी कड़ी निंदा की।

अमेरिकी राष्ट्रपति की भूमिका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका का ईरान के एयरस्पेस पर फुल कंट्रोल हो चुका है। इसी के साथ यरुशलम में अमेरिका ने तीन दिनों के लिए अपना दूतावास बंद कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि 'सुरक्षा स्थिति को देखते हुए और इजरायल होम फ्रंट कमांड के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, यरुशलेम में अमेरिकी दूतावास बुधवार, 18 जून से शुक्रवार (20 जून) तक बंद रहेगा। इसमें यरुशलम और तेल अवीव में वाणिज्य दूतावास अनुभाग शामिल हैं।'

बता दें, इस संघर्ष में डोनाल्ड ट्रंप ने अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 15 जून को ट्रुथ सोशल पर तेल अवीव और तेहरान के नागरिकों को तुरंत खाली करने की चेतावनी दी। साथ ही, ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण करने के लिए कहा। ट्रंप ने यह भी दावा किया कि वह जानते हैं कि ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामनेई कहां छिपे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि अभी उनकी हत्या का कोई इरादा नहीं है।

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