
India-Pakistan Tension: भारत और पाकिस्तान ने अमेरिका की मध्यस्थता में चली लंबी बातचीत के बाद सीमा पर युद्धविराम (सीजफायर) पर सहमति जताई है। इस फैसले की जानकारी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर ट्वीट के ज़रिए दी। ये कदम उस समय उठाया गया है जब दोनों देशों के बीच सीमा पर ड्रोन हमले, गोलीबारी और लगातार बढ़ते तनाव ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता खड़ी कर दी थी।
बता दें कि,पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सोशल मीडिया पर घोषणा करते हुए बताया कि भारत और पाकिस्तान ने तत्काल प्रभाव से संघर्षविराम लागू करने पर सहमति बनाई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा क्षेत्र में शांति और सुरक्षा का पक्षधर रहा है, लेकिन अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।
डोभाल और जयशंकर की कूटनीतिक भूमिका रही अहम
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर बीते कई दिनों से अमेरिकी अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत कर रहे थे। इन वार्ताओं का मुख्य उद्देश्य सीमा पर तनाव को कम कर, दोनों देशों को एक शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाना था। इस गुप्त कूटनीतिक प्रक्रिया ने ही संघर्षविराम की राह तैयार की।
अमेरिका ने फैसले को बताया समझदारी भरा कदम
अमेरिकी पक्ष ने इसे दोनों देशों की "साझा समझदारी और गहरी बुद्धिमत्ता" का नतीजा बताया है। अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान, दोनों को इस बड़े फैसले के लिए बधाई दी है और उम्मीद जताई है कि ये समझौता सीमाओं पर शांति स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
ट्रंप बोले- दोनों देशों ने दिखाई समझदारी
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, "मैं ये घोषणा करते हुए बेहद प्रसन्न हूं कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई है। दोनों देशों ने सामान्य समझदारी और श्रेष्ठ बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है, उन्हें मेरी तरफ से हार्दिक बधाई।"
मोदी-शरीफ से हुई अमेरिकी मंत्रियों की सीधी बात
अमेरिकी विदेश मंत्री ने बताया कि बीते 48घंटों में उन्होंने और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेतृत्व से गहन चर्चा की। बातचीत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
अब देखना होगा कि ये संघर्षविराम कितना स्थायी साबित होता है और क्या इससे भारत-पाक संबंधों में कोई स्थायी सुधार देखने को मिलेगा।
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