SpaceX की स्टारशिप की उड़ान रही सफल, लेकिन धरती पर वापसी करने में रहा नाकाम

SpaceX की स्टारशिप की उड़ान रही सफल, लेकिन धरती पर वापसी करने में रहा नाकाम

SpaceX Starship: एलन मस्क की कंपनी SpaceX ने अपने प्रोजेक्ट स्टारशिप की नौवीं टेस्ट फ्लाइट को टेक्सास के बोका चिका स्थित स्टारबेस से लॉन्च की। यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है, जिसे आज सुबह लॉन्च किया गया। इसे मंगल पर मानव बस्तियां बसाने और चंद्रमा पर NASA के Artemis मिशन के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस टेस्ट फ्लाइट ने कई मील के पत्थर हासिल किए। लेकिन धरती पर वापसी से पहले स्टारशिप का ऊपरी हिस्सा अनियंत्रित होकर क्रैश हो गया।

स्टारशिप की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग

27 मई 2025 को शाम 7:37 बजे EDT यानी भारतीय समयानुसार 28 मई 2025 को सुबह 5:07 IST, स्टारशिप ने अपने सुपर हेवी बूस्टर के साथ स्टारबेस से उड़ान भरी। 33 रैप्टर इंजनों द्वारा संचालित यह रॉकेट लगभग 400 फीट लंबा है और 16 मिलियन पाउंड थ्रस्ट उत्पन्न करने में सक्षम है। जो NASA के सैटर्न V रॉकेट से दोगुना शक्तिशाली है। इस टेस्ट फ्लाइट में SpaceX ने कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल किया।

बूस्टर का दोबारा उपयोग: पहली बार किसी सुपर हेवी बूस्टर (बूस्टर 14) का दोबारा उपयोग किया गया, जो पहले जनवरी 2025 की सातवीं टेस्ट फ्लाइट में उड़ा था। बूस्टर ने सफलतापूर्वक स्टारशिप को निचली कक्षा में पहुंचाया और लॉन्च पैड पर वापस लौटकर मेक्ज़िला (लॉन्च टावर की मैकेनिकल आर्म्स) द्वारा पकड़ा गया। हालांकि, यह बूस्टर अंतिम लैंडिंग बर्न के दौरान टूट गया।

लंबी दूरी की उड़ान: स्टारशिप का ऊपरी हिस्से को शिप कहा जाता है। इस शिप ने पृथ्वी के आधे चक्कर लगाए और उप-कक्षीय (sub-orbital) प्रक्षेपवक्र में प्रवेश किया। यह अपने आप में एक उपलब्धि थी, क्योंकि इस रॉकेट पहले की तुलना में लंबी दूरी की उड़ान तय की।

स्टारशिप का क्रैश होना

स्टारशिप की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग और कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को हासिल करने के बावजूद यह क्रैश हो गया। लॉन्च के लगभग 20 मिनट बाद स्टारशिप का ऊपरी हिस्सा (शिप 35) अनियंत्रित हो गया। SpaceX की मानें तो एक प्रोपेलेंट लीक के कारण शिप के इंजनों के ऊपर 'एटिक' स्पेस में आग लग गई। जिससे वह घूमने लगा और उसका नियंत्रण खो गया।

स्टारशिप को चार नकली स्टारलिंक सैटेलाइट्स को तैनात करना था। लेकिन पेलोड डोर खुलने में विफल रहा। इसके अलावा शिप को भारतीय महासागर में नियंत्रित सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। लेकिन यह पुन: प्रवेश के दौरान अनियंत्रित होकर टूट गया।

स्टारशिप की लगातार तीसरी असफलता

बता दें, यह SpaceX के लिए एक और झटका है। क्योंकि इससे पहले की दो टेस्ट फ्लाइट्स (सातवीं और आठवीं) भी असफल रही थीं। जनवरी 2025 में सातवीं टेस्ट फ्लाइट में भी शिप 33 एक प्रोपेलेंट लीक के कारण विस्फोटित हो गया था। जिसके मलबे ने कैरेबियन में तुर्क और कैकोस द्वीपों पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। वहीं, मार्च 2025 में आठवीं टेस्ट फ्लाइट में शिप के छह में से चार रैप्टर इंजन समय से पहले बंद हो गए। जिसके कारण यह अनियंत्रित होकर टूट गया।

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