राहुल गांधी के 'सरेंडर' बयान पर शशि थरूर का पलटवार, कहा - भारत को तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं

राहुल गांधी के 'सरेंडर' बयान पर शशि थरूर का पलटवार, कहा - भारत को तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं

Shashi Tharoor On Rahul Gandhi Surrender Statement: 04 जून को भोपाल में कांग्रेस के 'संगठन सृजन अभियान' के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के 'सरेंडर' वाले बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया। वहीं, अब इस विवाद में कांग्रेस सांसद शशि थरूर की एंट्री हो चुकी है। उन्होंने कहा 'जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की भाषा बोलता रहेगा, हमें उससे वही भाषा बोलने में कोई परेशानी नहीं। भारत को किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।'

राहुल गांधी का विवादित बयान

दरअसल, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था 'ट्रंप ने एक इशारा किया, फोन उठाया और कहा, 'मोदी जी, आप क्या कर रहे हैं? नरेंद्र सरेंडर।' और मोदी जी ने कहा, 'हां सर,' और ट्रंप के निर्देशों का पालन किया।' उन्होंने अपने बयान में दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में भारत ने पाकिस्तान के साथ 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत संघर्षविराम पर सहमति जताई। उन्होंने आगे कहा 'मैं बीजेपी-आरएसएस के लोगों को जानता हूं; थोड़ा सा दबाव डालो, थोड़ा धक्का दो, वे डरकर भाग जाते हैं।'

वहीं, इस बयान पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए राहुल गांधी को 'पाकिस्तान का एजेंट' और 'पाकिस्तानी प्रचार का नेता' करार दिया। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा 'राहुल गांधी ने वही प्रचार शुरू किया है, जो पाकिस्तान भी नहीं कर सका।' उन्होंने राहुल से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं जैसे शशि थरूर, मनीष तिवारी और सलमान खुरशिद की बात मानने की सलाह दी, जिन्होंने भारत की स्थिति को स्पष्ट करते हुए किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार किया था।

शशि थरूर का राहुल गांधी पर पलटवार

वहीं, अब इस विवाद में शशि थरूर की एंट्री हो चुकी है। उन्होंने राहुल गांधी के सरेंडर वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा 'जब तक पाकिस्तान आतंकवाद की भाषा का इस्तेमाल करता रहेगा, हमें उससे वही भाषा बोलने में कोई परेशानी नहीं है। हम ताकत की भाषा का इस्तेमाल करेंगे और इसके लिए किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।'

मालूम हो कि शशि थरूर का यह बयान उस समय आया जब वे ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की स्थिति और पाकिस्तान के आतंकवाद को वैश्विक मंच पर उजागर करने के लिए 05 देशों की राजधानियों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे।

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