
Hong Kong Fire: हॉन्ग कॉन्ग की हाई राइज बिल्डिंग में लगी आग ने पूरी दुनिया में दहशत फैला दी है। इस अग्निकांड में मौतों की संख्या बढ़कर 128 हो गया है। यह घटना शहर के उत्तरी जिले ताई पो में स्थित वांग फुक कोर्ट नामक हाई-राइज आवासीय परिसर में हुई, जहां आग ने कई इमारतों को अपनी चपेट में ले लिया। फायरफाइटर्स अभी भी जली हुई इमारतों से धुंआ निकलते देख रहे हैं और एम्बर्स को बुझाने का काम जारी है, जबकि लापता लोगों की तलाश में उम्मीदें कम होती जा रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि करीब 200 लोग अभी भी लापता हैं, और मौतों का आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि बचाव दल इमारतों के अंदर प्रवेश कर रहे हैं।
कहां-कैसे लगी आग?
बता दें, यह आग बुधवार दोपहर 26 नवंबर को भड़की, जब वांग फुक कोर्ट की आठ 32-मंजिला टावरों में से कई में नवीनीकरण का काम चल रहा था। परिसर बांस की स्कैफोल्डिंग और हरी जाली से ढका हुआ था, जो आग फैलने में प्रमुख कारक बना। अधिकारियों के अनुसार, इमारतों में लगे ज्वलनशील फोम बोर्ड्स और अन्य असुरक्षित सामग्रियों ने आग को अनियंत्रित रूप से फैलने दिया। बताया जा रहा है कि फायर अलार्म सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहे थे, जिससे निवासियों को समय पर चेतावनी नहीं मिली।
आग इतनी तेजी से फैली कि कई लोग फंस गए और बचाव कार्य में एक फायरफाइटर हो वाई-हो की भी मौत हो गई। कुल 79 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 12 फायरफाइटर्स शामिल हैं। शुक्रवार तक आग पर काबू पा लिया गया है, लेकिन इमारतें अभी भी धधक रही हैं। बचाव दल अब इमारतों के अंदर जाकर सबूत इकट्ठा कर रहे हैं और शवों की तलाश कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार, अब तक 39 शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि 467 लापता व्यक्तियों की पूछताछ दर्ज की गई है। हॉन्ग कॉन्ग के सुरक्षा सचिव क्रिस टैंग ने चेतावनी दी है कि मौतों की संख्या और बढ़ सकती है, क्योंकि कई निवासियों की स्थिति अज्ञात है।
पुलिस की कार्रवाई
दूसरी तरफ, पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें प्रेस्टीज कंस्ट्रक्शन कंपनी के दो निदेशक और एक इंजीनियरिंग सलाहकार शामिल हैं, जिन पर हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया जा रहा है। आरोप है कि उन्होंने असुरक्षित सामग्रियों का इस्तेमाल किया, जैसे ज्वलनशील फोम बोर्ड्स जो खिड़कियों को ब्लॉक कर रहे थे, जिससे लापरवाही से आग फैली। यह हॉन्ग कॉन्ग में 1948 के बाद सबसे घातक आग है और अधिकारियों का कहना है कि निर्माण कार्यों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी प्रमुख कारण रही।
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