
Iran-Israel Ceasefire: ईरान और इजरायल के बीच की 12 दिन की जंग अब खत्म हो गई है। इनके बीच सीजफायर पर सहमति बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कूटनीतिक और दबाव की रणनीति ने इस क्षेत्रीय संकट को शांत करने में अहम भूमिका निभाई। ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों के बीच संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से इजरायल और ईरान के बीच पूर्ण और समग्र सीजफायर लागू होगा।
ईरान-इजरायल के बीच युद्धविराम
24 जून को, ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर घोषणा की कि ईरान और इजरायल के बीच पूर्ण और अंतिम युद्धविराम पर सहमति बन गई है। इस समझौते के अनुसार, युद्धविराम अगले 24 घंटों में प्रभावी होगा, जिसमें पहले छह घंटों में दोनों पक्ष अपने अंतिम सैन्य अभियान पूरे करेंगे। ट्रंप ने इस समझौते को 'मध्य पूर्व में शांति की दिशा में एक बड़ा कदम' बताया और दोनों देशों की सहनशक्ति और बुद्धिमत्ता की तारीफ की।
वहीं, ईरान के विदेश मंत्रालय ने भी पुष्टि की कि अगर इजरायल अपनी हवाई कार्रवाई बंद करता है, तो ईरान भी अपने हमले रोक देगा। इस समझौते में क्षेत्रीय देशों, विशेष रूप से कतर और ओमान ने मध्यस्थता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कतर ने युद्धविराम के बाद अपना हवाई क्षेत्र फिर से खोल दिया, जिससे क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद बढ़ गई।
ट्रंप की दोहरी रणनीति
बता दें, डोनाल्ड ट्रंप ने इस युद्ध को खत्म करने के लिए एक दोहरी रणनीति अपनाई। एक ओर, उन्होंने ईरान पर सैन्य कार्रवाई की धमकी देकर दबाव बनाया। व्हाइट हाउस के सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की गोपनीय योजना को मंजूरी दी थी। लेकिन अंतिम आदेश देने से पहले कूटनीति को मौका दिया। वहीं, दूसरी ओर उन्होंने क्षेत्रीय मध्यस्थों, जैसे खाड़ी देशों के जरिए ईरान के साथ संवाद स्थापित करने की कोशिश की।
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में स्पष्ट किया कि वह 'शक्ति के माध्यम से शांति' में विश्वास करते हैं। उनकी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था ईरान को यह विश्वास दिलाना कि सैन्य टकराव के बजाय बातचीत ही उसके लिए बेहतर रास्ता है। इसके साथ ही, उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर भी दबाव बनाया कि वह सीमित और लक्षित हमलों तक ही सीमित रहे, ताकि युद्ध अनियंत्रित न हो।
Leave a comment