Nepal में आसमान से बरस रही आफत, 1 महीने में 60 से ज्यादा की मौत, मंडरा रहा है बाढ़ का खतरा

Nepal में आसमान से बरस रही आफत, 1 महीने में 60 से ज्यादा की मौत, मंडरा रहा है बाढ़ का खतरा

Nepal Rain: भारत और उसके पड़ोसी देशों में इस साल मानसून मेहरबान है। यही वजह है कि भारत के कई राज्यों में भारी बारिश ने जून में कम बारिश की भरपाई कर दी। जून माह से अब तक बेहतरीन वर्षा दर्ज की गई है। लेकिन यह बारिश कई जगहों पर कहर बरपा रही है, मॉनसून की शुरुआत के बाद से पिछले चार हफ्तों में नेपाल में बारिश से जुड़ी घटनाओं में कम से कम 62 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 90 अन्य के घायल होने की खबर है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

नेपाल में बारिश जनित घटनाओं में 62 लोगों की मौत

अधिकारियों ने कहा कि मानसून से संबंधित इन मौतों का मुख्य कारण भूस्खलन, बाढ़ और बिजली गिरना है। अधिकारियों ने कहा कि मरने वालों में से 34 की मौत भूस्खलन के कारण हुई, जबकि 28 की मौत लगातार बारिश के कारण आई बाढ़ से हुई। इसके अलावा इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण सात लोगों के लापता होने की भी खबर है। भारी बारिश और उसके बाद बाढ़ और भूस्खलन के कारण कई संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा है। जानकारी के मुताबिक, कम से कम 121 घर डूब गए हैं और 82 अन्य क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

नेपाल पीएम ने अधिकारियों को दिए ये खास निर्देश

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने सभी राज्य एजेंसियों को मानसून बाढ़, भूस्खलन और बाढ़ से प्रभावित लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है। रविवार को सिंह दरबार स्थित नियंत्रण कक्ष में एक बैठक के दौरान, प्रधान मंत्री ने सभी राज्य एजेंसियों को इन प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित नागरिकों के लिए बचाव और राहत प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया।

उन्होंने सभी नागरिकों से संभावित आपदाओं के प्रति सतर्क रहने का भी आग्रह किया। साथ ही राजनीतिक दलों, नागरिक समाज और सामाजिक संगठनों से आपदा जोखिमों को कम करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग करने का आह्वान किया।

नेपाल में भारी बारिश के बाद बाढ़ का खतरा

माय रिपब्लिका न्यूज पोर्टल की खबर के मुताबिक, नारायणी नदी का जलस्तर चेतावनी स्तर से ऊपर पहुंचने के बाद गंडक बैराज के सभी गेट खोल दिए गए हैं। गंडक बराज पर सुबह सात बजे जलस्राव 440750 क्यूसेक मापा गया। सप्तकोशी जल मापक केंद्र के हवाले से खबर में कहा गया है कि पानी का प्रवाह चेतावनी स्तर तक बढ़ने के बाद कोसी बैराज के 41 गेट खोल दिये गये हैं।

 

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