
Iran President Helicopter Crash: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद लगातार सर्च ऑपरेशन चलाया गया। हेलिकॉप्टर का मलबा अजरबैजान की पहाड़ियों में मिला। विमान में राष्ट्रपति रायसी और ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन समेत नौ लोग सवार थे। ताजा रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि हेलीकॉप्टर में सवार सभी लोगों की मौत हो गई है। इस बीच ईरान के सुप्रीम लीडर की शक्तियों और राष्ट्रपति पद को लेकर चर्चा हो रही है।
ईरान में सबसे शक्तिशाली व्यक्ति देश के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई हैं। वह 1989 से इस पद पर हैं। राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी सर्वोच्च निर्वाचित अधिकारी हैं। ईरान में राष्ट्रपति सर्वोच्च नेता के बाद दूसरे स्थान पर आते हैं। अब आइए समझते हैं कि इन दोनों के कार्यों और शक्तियों में क्या अंतर है।
ईरान के सर्वोच्च नेता कितने शक्तिशाली हैं?
ईरान में सत्ता के शीर्ष पर सर्वोच्च नेता होता है। 1979 में इस्लामिक गणराज्य की स्थापना के बाद से केवल 2 लोग ही इस पद पर रहे हैं। ईरानी क्रांति के जनक अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी देश के पहले सर्वोच्च नेता थे। 1989 में उनकी मृत्यु के बाद, अयातुल्ला अली खामेनेई देश के नए सर्वोच्च नेता बने। तभी से वह इस पद पर नियुक्त हैं। सर्वोच्च नेता के पद के संबंध में खुमैनी ने अपनी 1970 की पुस्तक 'इस्लामिक गवर्नमेंट' में लिखा, 'शिया पादरी (उलेमा) ईरान में एक इस्लामी राज्य के निर्माण और शासन की देखरेख करेंगे।'
ईरान के संविधान के अनुसार, सर्वोच्च नेता "इस्लामी गणतंत्र ईरान की सामान्य नीतियों" की निगरानी करेंगे। इसका मतलब यह है कि वह ईरान की घरेलू और विदेशी नीतियों की दिशा तय करेंगे। ईरान के सर्वोच्च नेता सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ भी हैं। वह इस्लामिक रिपब्लिक के खुफिया और सुरक्षा अभियानों को नियंत्रित करता है। वह अकेले ही युद्ध या शांति की घोषणा कर सकता है।
सर्वोच्च नेता के पास लोगों को अन्य पदों पर नियुक्त करने या बर्खास्त करने की शक्ति होती है। उसके पास न्यायपालिका के प्रमुख, राज्य रेडियो और टेलीविजन नेटवर्क के नेताओं और इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के सर्वोच्च कमांडर को नियुक्त करने और बर्खास्त करने की शक्ति है। ईरान की संसद की गतिविधियों की देखरेख करने वाली संरक्षक परिषद अपने 12 में से 6 सदस्यों की नियुक्ति भी करती है। इसके अलावा सर्वोच्च नेता के नियंत्रण में ऐसे फाउंडेशन भी हैं, जो सैकड़ों कंपनियां चलाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, अर्थव्यवस्था में इनकी हिस्सेदारी 40 फीसदी है।
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