
India-Nepal News: चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना को अब नेपाल में भी कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, चीन नेपाल को अपने कर्ज के जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन नेपाल भी भारत की तरह ड्रैगन से मदद की मांग कर रहा है। दरअसल, पिछले हफ्ते पर्यटन स्थल पोखरा में एक नया हवाई अड्डा बनाया गया था, जिसके लिए चीन ने पैसा दिया था। ड्रैगन ने दावा किया था कि यह एयरपोर्ट नेपाल में BRI का हिस्सा है।
चीन की इस हरकत का वहां के स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि भारत शुरू से ही चीन की इस परियोजना का विरोध करता रहा है। इस बार के बजट में नरेंद्र मोदी सरकार ने मध्य पूर्व को जोड़ने के लिए एक बड़े कॉरिडोर का ऐलान किया था। इसका नाम है भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा। इस प्रोजेक्ट को पिछले साल भारत में हुई जी-20 बैठक में लॉन्च किया गया था।
भारत के पड़ोसियों पर चीन क्यों डाल रहा है डोरे?
पिछले हफ्ते, राष्ट्रीय एकता अभियान ने पोखरा में एक जागरूकता रैली आयोजित की, जिसमें बीआरआई और नेपाल के लिए इसके संभावित खतरों पर चिंता जताई गई। विरोध का मुख्य केंद्र पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा था। विरोध प्रदर्शन के दौरान आरोप लगाया गया कि इसके पीछे चीन की कोई छुपी चाल हो सकती है।
संभव है कि ड्रैगन पोखरा इलाके में चीनी सेना तैनात करना चाहता है। इसके लिए वह पोखरा एयरपोर्ट को आर्थिक नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश कर सकता है। गौरतलब है कि चीन भारत के सभी पड़ोसी देशों को निशाना बना रहा है। भारत और नेपाल के बीच आपसी रिश्ते अच्छे हैं। ऐसे में चीन अलग-अलग तरीकों से भारत के पड़ोसी देशों को लुभाने की कोशिश कर रहा है।
नेपाल चीन के जाल में नहीं फंस रहा है
चीन का BRI नेपाल में शुरू नहीं हुआ है। हालाँकि, नेपाल और चीन ने 2017 में इस पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन लगभग सात साल बीत जाने के बाद भी इसकी कोई भी परियोजना शुरू नहीं हुई है और न ही इस पर कोई चर्चा हुई है। नेपाल के विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका और पाकिस्तान की तरह नेपाल की सरकारें भी बीजिंग से कर्ज लेने में झिझक रही हैं, जिसके कारण बीआरआई परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।
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