हमास-युद्ध को लेकर इकट्ठा हुए 57 मुस्लिम देश आपस में भिड़े, इजरायल के सपोर्ट में उतरे 3 देश

हमास-युद्ध को लेकर इकट्ठा हुए 57 मुस्लिम देश आपस में भिड़े, इजरायल के सपोर्ट में उतरे 3 देश

Israel-Hamas War: सप्ताहांत में सऊदी अरब के जेद्दा में दुनिया के 57 इस्लामिक देशों की बैठक हुई। यह बैठक गाजा में चल रहे इजरायली हमलों को लेकर बुलाई गई थी, जिसमें पाकिस्तान और तुर्की समेत कई देशों ने खुलकर सीजफायर की मांग की। वहीं, अल्जीरिया और लेबनान जैसे कई देशों ने इजराइल को तेल की आपूर्ति रोकने का प्रस्ताव दिया।लेकिन इस पर भी कोई सहमति नहीं बन पाई।

इस प्रस्ताव को यूएई और बहरीन समेत तीन देशों ने रोक दिया था। इस तरह इस्लामिक देश इजराइल के खिलाफ किसी ठोस कार्रवाई पर सहमत नहीं हो सके। अंत में बैठक इस औपचारिक बयान के साथ समाप्त हुई कि गाजा पर इजरायली हमले गलत हैं और यह कहना सही नहीं है कि वह आत्मरक्षा में हमला कर रहा है।

इजरायल के हमले जारी रहे तो दूसरे देश भी प्रभावित होंगे

अरब लीग और इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि अगर इजरायल के हमले जारी रहे तो दूसरे देश भी प्रभावित होंगे। इस युद्ध ने मध्य पूर्व के देशों में गुस्सा पैदा कर दिया है और अब तक करीब 12 हजार फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इस मौके पर ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी सबसे मुखर रहे। उन्होंने कहा कि इस्लामिक देशों को इजरायली सेना को आतंकवादी संगठन घोषित करना चाहिए। लेकिन इस पर भी कोई सहमति नहीं बन पाई।

OICबैठक में शामिल सूत्रों ने एएफपी को बताया कि यह बैठक ऐसी थी मानो क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग समूह एकत्र हुए हों। अल्जीरिया और लेबनान की मांग है कि गाजा पर इजरायल के लगातार हो रहे हमलों को रोकने के लिए तेल की आपूर्ति रोक दी जाए।इसके अलावा अरब देशों को उससे अपने आर्थिक और कूटनीतिक रिश्ते ख़त्म कर देने चाहिए। इस पर यूएई और बहरीन समेत तीन देशों ने आपत्ति जताई और इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। आपको बता दें कि बहरीन और यूएई ने 2020 में इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य किए थे। इनके बीच अब्राहम अकॉर्ड पर भी समझौते हुए थे।

ऐसा लगता है कि यह एक दंतहीन संगठन बन गया है; सीरियाई राष्ट्रपति की दो टूक

इस बैठक से ठीक पहले हमास ने बैठक में शामिल लोगों से अपने देशों से इजरायली दूतावासों को बाहर निकालने की मांग की थी। बैठक में इस पर भी कोई चर्चा नहीं हुई। इस पर सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद नाराज दिखे।उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह बैठक आयोजित की गई, उससे ऐसा लगता है कि यह बैठक बेदाग है। इस संगठन ने कोई सशक्त प्रस्ताव नहीं दिया। उन्होंने साफ कहा कि अगर हम कोई ठोस कार्रवाई नहीं करेंगे तो बात करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व के किसी भी देश को इजराइल के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए।

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