‘सत्ता से बेदखल कराने के लिए अमेरिका ने की साजिश’, बाइडेन प्रशासन में बैठे हैं भारत के दुश्मन! शेख हसीना का दावा

‘सत्ता से बेदखल कराने के लिए अमेरिका ने की साजिश’, बाइडेन प्रशासन में बैठे हैं भारत के दुश्मन! शेख हसीना का दावा

Bangladesh Unrest: बांग्लादेश इस समय गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल का सामना कर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद से वहाँ की स्थिति बेहद नाजुक हो गई है। हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले हो रहे हैं, और भारत विरोधी भावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कट्टरपंथी ताकतें जैसे कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और अन्य चरमपंथी समूह प्रभावी हो रहे हैं। इन परिस्थितियों के बावजूद, अमेरिका जैसे प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी ने इस स्थिति पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी है, जो विशेष चिंता का विषय है।

भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी

भारत और अमेरिका के बीच पिछले तीन दशकों में संबंधों में महत्वपूर्ण मजबूती आई है। आज दोनों देश एक अहम रणनीतिक साझेदार के रूप में उभरे हैं। सैन्य और व्यापार के क्षेत्र में साझेदारी ने नई ऊंचाइयों को छू लिया है, और पीपुल-टू-पीपल कनेक्शन भी शानदार हैं। वर्तमान में लगभग 80 लाख भारतीय अमेरिका में निवास कर रहे हैं, जो अमेरिका के प्रभावशाली और संभ्रांत वर्ग में शामिल हैं। इसके बावजूद, बांग्लादेश के मामलों में दोनों देशों की राय में गहरा अंतर है।

बांग्लादेश पर भारत और अमेरिका की असहमति

1971 में बांग्लादेश की स्थापना के समय अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया था और बांग्लादेश की आजादी के खिलाफ था। पांच दशकों बाद भी, अमेरिका ने इस स्थिति को पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। अमेरिका की नीति में अब भी बांग्लादेश के कट्टरपंथी ताकतों, विशेषकर पाकिस्तान की पक्षधर बीएनपी, का समर्थन देखा जा सकता है। यह भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि बांग्लादेश भारत के तीनों ओर से घिरा हुआ है। इस स्थिति में कट्टरपंथी ताकतों के उभार से भारत की सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है।

सत्ता से बेदखल कराने के लिए अमेरिका ने साजिश की-शेख हसीना

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुलासा किया है कि अमेरिका ने उन्हें सत्ता से बेदखल कराने के लिए साजिश की थी। इस आरोप को एक नई रिपोर्ट द्वारा और बल मिला है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सचिव डोनाल्ड लू की भूमिका पर सवाल उठे हैं। मई 2024 में, डोनाल्ड लू ने ढाका का दौरा किया था, जिसे बांग्लादेश के साथ अमेरिका के रिश्तों को सुधारने की कोशिश के रूप में पेश किया गया। लेकिन, लू ने अपने इस दौरे के दौरान कई सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स और कथित सिविल सोसायटी के सदस्यों से मुलाकात की, और इसके कुछ दिन बाद ही ढाका में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।

डोनाल्ड लू का करियर और विवाद

डोनाल्ड लू एक अनुभवी करियर डिप्लोमेट हैं और हिंदी, उर्दू सहित कई भाषाओं में दक्षता रखते हैं। पिछले 25 वर्षों में, वे भारत-पाकिस्तान और अन्य देशों में तैनात रह चुके हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी उन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की। रिपोर्ट्स के अनुसार, लू ने नेपाल, म्यांमार और श्रीलंका की आंतरिक राजनीति में भी हस्तक्षेप किया है।

अमेरिका की रणनीतिक मंशा

वर्तमान वैश्विक राजनीति में, बांग्लादेश और यूक्रेन जैसे देश ऐसे हैं जहाँ भारत और अमेरिका की राय मेल नहीं खाती। शेख हसीना ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ने उनकी सरकार को गिराने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक द्वीप सेंट मार्टिन देने का प्रस्ताव रखा था। कूटनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों को समर्थन देकर बंगाल की खाड़ी में एक सैन्य अड्डा स्थापित करने की योजना बना रहा है। भारत इस क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य अड्डों की मौजूदगी का विरोध करता रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच रणनीतिक असहमति और गहरा हो गई है।

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