
Parliament Winter Session: सोशल मीडिया पर रील और वीडियो बनाकर अपनी पहचान और रोजगार खड़ा करने वाले डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स के सबसे बड़े दर्द को आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता राघव चड्ढा ने आज संसद में उठाया। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने कहा कि डिजिटल कंटेंट क्रिएटर का दर्द अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। चड्ढा ने कहा कि आज इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए पैसा कमाने का मुख्य जरिया बन चुके हैं। कंटेंट क्रिएटर दिन-रात मेहनत करके वीडियो तैयार करते हैं, लेकिन कॉपीराइट कानून के कारण उन्हें भारी नुकसान झेलना पड़ता है।
मिनटों में खत्म हो जाती सालों की मेहनत
AAP नेता बताया कि अगर कोई कंटेंट क्रिएटर 2 से 3 सेकेंड के लिए भी कॉपीराइट वाले वीडियो या ऑडियो का इस्तेमाल कमेंट्री, आलोचना, पैरोडी, एजुकेशनल या न्यूज रिपोर्टिंग के लिए करता है, तो उसके खिलाफ कॉपीराइट स्ट्राइक लगा दी जाती है। कई मामलों में पूरा यूट्यूब चैनल या इंस्टाग्राम पेज ही हटा दिया जाता है, जिससे सालों की मेहनत कुछ ही मिनटों में खत्म हो जाती है।
राघव चड्ढा ने रखी 3 मांगें
राघव चड्ढा ने इस समस्या के समाधान के लिए तीन अहम मांगें रखीं। पहली मांग ये है कि कॉपीराइट एक्ट 1956 में सुधार किया जाए और उसमें डिजिटल फेयर यूज की साफ परिभाषा तय की जाए। उन्होंने कहा कि ट्रांसफॉर्मेटिव यूज क्या है, कमेंट्री, सटायर और पैरोडी की सीमा क्या है, इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए। साथ ही ये भी तय हो कि बैकग्राउंड में कुछ सेकेंड के लिए ऑडियो या वीडियो चलना इंसेडेंटल यूज माना जाएगा या नहीं।
उनकी दूसरी मांग थी कि कुछ सेकेंड के बैकग्राउंड इस्तेमाल की वजह से किसी कंटेंट क्रिएटर की पूरी डिजिटल पहचान खत्म नहीं की जानी चाहिए। तीसरी मांग में उन्होंने कहा कि किसी भी कंटेंट को हटाने से पहले एक तय प्रक्रिया अपनाई जाए, ताकि क्रिएटर को अपनी बात रखने का मौका मिल सके। राघव चड्ढा ने कहा कि डिजिटल क्रिएटर्स देश की नई अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं और उनके अधिकारों की रक्षा करना समय की मांग है।
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