
Winter Parliament Session: संसद के शीतकालीन सत्र सोमवार को भी हंगामे की भेंट चढ़ गया। मंगलवार सुबह 11 बजे तक दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विपक्षी दलों के द्वारा लगातार अडानी प्रकरण पर चर्चा करने की मांग उठाई जा रही है। वहीं, सरकार इन मुद्दों पर चर्चा से बचते नजर आ रही हैं। इस बीच INDIA गठबंधन में भी टूट दिखाई दे रही है। दरअसल, मंगलवार को राज्यसभा के नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के संसद स्थित कक्ष में INDIA गठबंधन की बैठक हुई। इस बैठक में अडानी मुद्दे को कैसे उठाया जाए, इसपर चर्चा होनी थी। लेकिन इस बैठक से तृणमुल कांग्रेस गायब रही। जानकारी के अनुसार, TMC अडानी प्रकरण पर संसद में विरोध से सहमत नहीं है।
TMCका एजेंडा साफ...
TMC सांसद और महासचिव अभिषेक बनर्जी ने शीतकालीन सत्र के दौरान ही साफ कर दिया था कि वो सिर्फ बंगाल के मुद्दे संसद में उठाएंगे। बनर्जी ने कहा, हमारा रुख बिल्कुल साफ है। हम पहले बंगाल के मुद्दों को प्राथमिकता देंगे। केंद्र ने बंगाल का बकाया रोक दिया है। हम इन मुद्दों पर संसद में चर्चा चाहते हैं। कांग्रेस से जाकर पूछिए। मैंने कहा है कि हम बंगाल के मुद्दों को प्राथमिकता देंगे। उनका क्या रुख है?
इससे पहले तृणमूल की वरिष्ठ सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि पार्टी नहीं चाहती कि संसद की कार्यवाही बाधित हो। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि संसद चले। हम सिर्फ एक मुद्दे पर सदन को बाधित नहीं करना चाहते। हम इस सरकार को कई मामलों में जवाबदेह ठहराएंगे।
जयराम रमेश ने सरकार को घेरा
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने संसद में हंगामे को लेकर कहा, "इस बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार है? सरकार ही जिम्मेदार है। विपक्ष अडानी, मणिपुर, संभल, अजमेर, बेरोजगारी आदि मुद्दों पर चर्चा चाहता है। लेकिन हमारे नोटिस का जिक्र तक नहीं किया जाता और हमारे नेताओं को बोलने नहीं दिया जाता। आज संसद के पांचवें दिन सदन स्थगित कर दिया गया। हमने मांग की है कि सरकार संविधान के 75वें वर्ष पर दो दिवसीय चर्चा कराए। सरकार ने हमारी मांग मान ली है, लेकिन कोई तारीख तय नहीं की गई है। अडानी का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है। मेरे 20 साल के अनुभव में, यह पहली बार है जब मैं देख रहा हूं कि सरकार संसद को चलने नहीं देना चाहती।"
साथ ही रमेश ने बैठक में TMC का हिस्सा नहीं लेने पर कहा, "विभिन्न दलों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। टीएमसी ने कहा है कि वह भारत गठबंधन का हिस्सा है, लेकिन कभी-कभी उनके अलग-अलग एजेंडे होते हैं। उन्होंने कभी नहीं कहा कि अडानी का मुद्दा बड़ा नहीं है।"
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