ब्रिक्स सम्मेलन में रुस-यूक्रेन की रिश्तों में आएगी सुधार? चीनी राष्ट्रपति से मिलेंगे पीएम मोदी!

ब्रिक्स सम्मेलन में रुस-यूक्रेन की रिश्तों में आएगी सुधार? चीनी राष्ट्रपति से मिलेंगे पीएम मोदी!

Modi Russsia Visit: 16वें ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रुस पहुंचे। इस दौरान एयरपोर्ट पर रुसी अधिकारियों ने पीएम मोदी का स्वागत किया। इसके साथ ही एयरपोर्ट पर बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय भी पीएम मोदी के स्वागत में जुटे। पीएम के स्वागत में जमकर “भारत माता की जय”के नारे लगे। तो वहीं इस दौरान कई कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। गौरतलब है कि भारतीय समयनुसार दोपहर 3:30बजे पीएम मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय मुलाकात होगी। पिछले 5 महीनों में दोनों राष्ट्राध्यक्ष दूसरी बार मिलेंगे। इसके अलावा पीएम मोदी कई कार्यक्रम में भाग लेंगे। बता दें, इस साल होने वाली ब्रिक्स सम्मेलन पर पूरी दूनिया की नजर रहने वाली है। माना जा रहा है कि ब्रिक्स देश आपस में मिलकर एक रिजर्व करेंसी शुरु करने वाले हैं, जो सीधा डॉलर को चुनौती देगी।  

दो दिवसीय यात्रा पर रुस पहुंचे पीएम

रुस के कजान में आयोजित 16वें ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंच चुके हैं। यह यात्रा भारत के लिए कई मायनों में खास रहने वाला है। एक ओर प्रधानमंत्री मोदी रुस और यूक्रेन के बीच समझैता करवाने के सिलसिले को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा पीएम मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच होने वाली द्विपक्षीय मुलाकात में तेल, रक्षा सहित अन्य कई मुद्दों पर बात हो सकती है। इसके अलावा आशंका यह भी जताई जा रही है कि कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हो सकती है। इस आशंका को बल तब और मिल गया, जब पिछले चार सालों से चल रहे भारत-चीन सीमा गतिरोध खत्म हो गया। पीएम मोदी के कजान पहुंचने के कुछ ही देर बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की। चीन के इस कदम के बाद यह माना जा रहा है कि वो भारत के साथ नई रिश्तों की शुरुवात करना चाहता है।

दुनिया की नजर ब्रिक्स सम्मेलन पर!

दरअसल, रुस की अगुवाई में हो रही ब्रिक्स सम्मेलन पर दुनिया की नजर टिकी है। दरअसल, इस समूह में शामिल देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक चौथाई हिस्से की अगुवाई करता है। रुस और चीन चाह रहे हैं कि ब्रिक्स समूह में शामिल सभी देश रिजर्व करेंसी को मंजूरी दे दे। बता दें, रुस और चीन के ऊपर अमेरिका ने कई सारे प्रतिबंध लगाए हैं। जिस कारण चीन और रुस डॉलर में वैश्विक स्तर पर व्यवसाय नहीं कर पा रहे हैं। अगर ब्रिक्स सम्मेलन में रिजर्व करेंसी को मंजूरी मिल जाती है तो ब्रिक्स समूह में शामिल सभी देश उसी करेंसी में आपस में व्यवसाय करेंगे। बता दें, इस समूह में ब्राजील, रूस, भारत और चीन के अलावा दक्षिण अफ्रिका सदस्य हैं। रुस में होने वाले ब्रिक्स सम्मेलन में कई और देशों को शामिल करने का प्रस्ताव है। ऐसे में ब्रिक्स का नाम BRICS+हो जाएगा। बता दें, कुल 48 देशों ने इस संगठन से जुड़ने में रुचि दिखाई है। जिसमें सऊदी अरब और तुर्की भी शामिल हैं।

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