India-Pak Ceasefire: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। इस हमले में 26 लोगों की मौत और कई लोगों के घायल होने के बाद भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। और भारत ने जवाबी कार्रवाई के तौर पर सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और अटारी बॉर्डर भी बंद कर दिया। जिसके बाद दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ गया। और नूर खान एयरबेस पर भारत के हमले ने स्थिति को और गंभीर कर दिया।
सऊदी प्रिंस की भूमिका
भारत पाक युद्ध को कम करने में सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान अल-साऊद ने अहम भूमिका निभाई। पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री इसाक डार ने इस बात का खुलासा किया कि जब भारत ने नूर खान एयरबेस पर हमला किया। तब प्रिंस फैसल ने उनसे संपर्क किया और पूछा कि क्या वह भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से युद्धविराम के लिए बात कर सकते हैं। डार ने तुरंत हामी भरी और प्रिंस फैसल ने जयशंकर से बातचीत की। इस कूटनीतिक प्रयास के बाद दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत हुई। जिससे 7-10 मई 2025 तक चले टकराव का अंत हुआ। सऊदी अरब ने इस मध्यस्थता को लेकर कोई प्रचार नहीं किया।
ट्रंप के दावों पर विवाद
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया कि उन्होंने भारत-पाक युद्ध को रोका और इसमें व्यापारिक समझौतों का इस्तेमाल किया। लेकिन भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीधी बातचीत से हुआ। न कि अमेरिकी मध्यस्थता से। पाकिस्तान के इसाक डार ने भी सऊदी प्रिंस की भूमिका को उजागर करते हुए ट्रंप के दावों को अप्रासंगिक बताया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने कभी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और न ही भविष्य में करेगा।
पाकिस्तान का रुख और सऊदी की चिंता
पाकिस्तान ने सऊदी अरब की मध्यस्थता का स्वागत किया। लेकिन ट्रंप की मध्यस्थता के दावों को ठुकरा दिया। सऊदी अरब ने दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव पर चिंता जताई और शांति की अपील की। इस बीच को भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए वैश्विक मंच पर उसे बेनकाब करने की कोशिश की।
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