Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा पूजा में सौ साल बाद बन रहा ऐसा अद्भुत योग, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Vishwakarma Puja 2025: विश्वकर्मा पूजा में सौ साल बाद बन रहा ऐसा अद्भुत योग, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Vishwakarma Puja 2025Mahurat: 17 सितंबर 2025 को देशभर में विश्वकर्मा पूजा का उत्साह चरम पर होगा। झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में इस दिन कारीगर, शिल्पकार और तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग अपने औजारों, मशीनों और वाहनों की पूजा करेंगे। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा, जो सृष्टि के प्रथम वास्तुकार और देव शिल्पी हैं, ने रावण की स्वर्ण लंका से लेकर श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी तक का निर्माण किया था। इस पर्व को ‘श्रमिकों का पर्व’ भी कहा जाता है, जो मेहनत और कौशल का सम्मान करता है। कारखानों, वर्कशॉप और ऑफिसों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी, ताकि कारोबार में प्रगति और समृद्धि प्राप्त हो। 

शुभ मुहूर्त और दुर्लभ योग

पंचांग के अनुसार, 17 सितंबर को सुबह 8:12 बजे सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश के साथ ही विश्वकर्मा पूजा शुरू होगी। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8:15 बजे से दोपहर 12:50 बजे तक रहेगा। इस बार का पर्व और भी खास है, क्योंकि सौ साल बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, गुरु पुष्य योग, शिवयोग और एकादशी का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह अनोखा संयोग पूजा के फल को कई गुना बढ़ाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा। 

पौराणिक महत्व और आधुनिक उत्साह

हिंदू धर्मग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और शिल्प का देवता माना गया है। उन्होंने इंद्रप्रास्थ, सुदर्शन चक्र और त्रिशूल जैसे अद्भुत निर्माण किए। आज के दौर में यह पर्व आस्था के साथ-साथ मेहनतकश लोगों के सम्मान का प्रतीक है। कारखानों से लेकर वाहन मालिकों तक, सभी इस दिन अपने उपकरणों की पूजा कर समृद्धि की कामना करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी श्रम और सृजन का उत्सव है। 

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